यूपी : अवैध वसूली से हर महीने 2 – 2.5 करोड़ की कमाई
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा ओवरलोड वाहनों से अवैध वसूली का बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में यूपी एसटीएफ ने कार्रवाई कर 14 लाख रुपये से अधिक की रकम बरामद की है , जिसके बाद विभागीय व्यवस्था की पोल खुल गई है। यह घोटाला करीब दो वर्षों से चल रहा था , जिसके तहत प्रतिदिन हजारों रुपये की वसूली की जा रही थी।
मामले का खुलासा तब हुआ जब यूपी एसटीएफ ने रायबरेली और फतेहपुर जिलों में छापेमारी की। यहां से ओवरलोड वाहनों से अवैध वसूली का जाल सामने आया। पता चला कि दोनों जिलों में कुल 2,500 से अधिक ओवरलोड वाहन प्रतिदिन संचालन में थे। इन वाहनों से प्रति वाहन लगभग 10,000 रुपये की वसूली की जाती थी। इस तरह , हर माह इन दोनों जिलों से करीब 14 लाख रुपये सीधे तौर पर वसूले जाते थे , जबकि पूरे क्षेत्र में ही कुल मिलाकर 25 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की बात सामने आई है।
आरोपी मोहित सिंह ने स्वीकार किया है कि वह पिछले दो वर्षों से इस अवैध वसूली में लिप्त था। वसूली के लिए गिरोह व्हाट्सएप का इस्तेमाल करता था। गिरोह से जुड़े लोग ओवरलोड वाहनों की सूची अधिकारियों को व्हाट्सएप के जरिए भेजते थे। इसके बाद , भुगतान की प्रक्रिया तय समय सीमा (1 से 10 तारीख के बीच) के दौरान पूरी की जाती थी। वसूली का पैसा गिरोह के सदस्यों द्वारा इकट्ठा किया जाता था और फिर वह रकम विभाग के संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाती थी।
यह जानकारी भी सामने आई है कि विभागीय अधिकारियों को इस अवैध वसूली की शिकायत काफी दिनों से मिल रही थी , लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। उच्चाधिकारियों को सूचित किए जाने के बावजूद , यह घोटाला लंबे समय तक चलता रहा। अचानक एसटीएफ की कार्रवाई से अधिकारी भी सकते में आ गए और इस पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया।
रायबरेली और फतेहपुर की सीमा आपस में जुड़ी होने के कारण , मौरंग और गिट्टी लदे ओवरलोड वाहन पहले फतेहपुर , फिर रायबरेली और अंततः गोरखपुर , प्रयागराज जैसे शहरों तक पहुंचते थे। इन वाहनों की तेज रफ्तार और भारी मात्रा में आवाजाही का फायदा उठाकर गिरोह अवैध वसूली कर रहा था। इस पूरे तंत्र में विभागीय अधिकारी , कर्मचारी और गिरोह के लोग मिलकर मालामाल हो रहे थे।
एसटीएफ की इस कार्रवाई के बाद विभागीय स्तर पर भी हड़कंप मच गया है। गिरोह से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है। अधिकारियों का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही , विभागीय व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।
यह मामला यूपी के ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। अवैध वसूली का यह खेल न केवल विभाग की छवि को धूमिल कर रहा था , बल्कि ट्रक ट्रैफिक से जुड़ी सुरक्षा और नियमों का उल्लंघन भी कर रहा था। सरकार और प्रशासन की सतर्कता से अब इस खेल का अंत होना संभव दिख रहा है। विभागीय अधिकारियों को चाहिए कि वे इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं और पारदर्शिता बनाए रखें।
इस मामले में आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया जारी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे , ताकि भविष्य में ऐसा कोई घोटाला न हो सके। – Report by : वंशिका माहेश्वरी



