सऊदी अरब और पाकिस्तान के रक्षा समझौते का पूरी दुनिया में चर्चा: क्या भारत पर पड़ेगा असर?
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुआ रक्षा समझौता पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। खासतौर पर भारत के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान उसका चिर प्रतिद्वंद्वी है, पर दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते भी रहे हैं। इस समझौते का भारत पर क्या असर पड़ेगा, यह भी जानना जरूरी है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस पर नजर बनाए हुए है। वहीं, इजरायल ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। इजरायल का कहना है कि यह समझौता उनके और भारत के बीच चल रहे संबंधों के कारण हुआ है। इजरायल का कहना है कि वे मध्य पूर्व में एकमात्र परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, इसलिए संभव है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान से यह समझौता किया हो।
पता चला है कि पाकिस्तान दुनिया का अकेला परमाणु शक्ति वाला मुस्लिम देश है। कई सालों से सऊदी अरब भी परमाणु हथियारों की सुरक्षा की तलाश में था। कुछ समय पहले खबरें आई थीं कि सऊदी अरब यूरेनियम का भंडार बढ़ा रहा है, ताकि वह परमाणु बम बना सके। लेकिन सऊदी अरब ने इन खबरों का खंडन किया है।
अमेरिकी पत्रकार बॉब वुडवार्ड ने अपनी किताब ‘War’ में लिखा है कि अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच बातचीत हुई थी। इसमें पूछा गया कि क्या सऊदी अरब यूरेनियम जमा कर रहा है, तो मोहम्मद बिन सलमान ने मजाक में कहा, “हमें बम बनाने के लिए यूरेनियम नहीं चाहिए। अगर जरूरत पड़ेगी तो पाकिस्तान से ही खरीद लेंगे।”
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल्ला अजीज बिन सलमान ने कहा है कि वे यूरेनियम का भंडार बढ़ा रहे हैं, लेकिन उनका मकसद सिर्फ शांति से इस्तेमाल करना है, परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है।
माना जा रहा है कि मोहम्मद बिन सलमान का भी वही इरादा है कि पाकिस्तान के साथ किए गए इस समझौते से परमाणु हथियारों का नैरेटिव मिल सके।
मुस्लिम देशों में से कतर, सऊदी अरब, मिस्र, यमन और ईरान जैसे देशों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं। हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने कहा था कि वह युद्ध में शामिल होने को तैयार है। एक पाकिस्तानी नेता ने कहा था कि यदि जरूरत पड़े तो ईरान के खिलाफ परमाणु हथियार का भी इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे।



