सांसद जियाउर रहमान बर्क पर पूर्वनियोजित दंगों का आरोप, विधानसभा में सियासी भूचाल

नई दिल्ली : संभल में 24 नवंबर 2025 को हुई हिंसा पर तीन सदस्यीय समिति की 450 पन्नों की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह हिंसा अचानक भड़की नहीं थी, बल्कि पूर्वनियोजित और षड्यंत्रपूर्ण थी।
सांसद जियाउर रहमान बर्क का भाषण
रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 नवंबर को सांसद जियाउर रहमान बर्क ने नमाजियों को संबोधित करते हुए भड़काऊ भाषण दिया। उन्होंने कहा, “हम इस देश के मालिक हैं, नौकर-गुलाम नहीं. मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी. अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, यहां ऐसा नहीं होने देंगे।”
इस भाषण ने कन्वर्टेड हिंदू पठानों और तुर्क-पठान समुदाय के बीच तनाव पैदा किया, जो 24 नवंबर को बड़े दंगों में बदल गया।
योजनाबद्ध धार्मिक स्थल टारगेटिंग
रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि दंगों की आड़ में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया। संभल के 68 तीर्थस्थलों और 19 पावन कूपों पर कब्जे की घटनाओं का उल्लेख है। हरिहर मंदिर पर कब्जे के प्रयास भी रिपोर्ट में दर्ज हैं।
बाहरी उपद्रवियों की भूमिका
रिपोर्ट के अनुसार दंगा भड़काने के लिए बाहरी उपद्रवियों को बुलाया गया था। हिंदू बहुल मोहल्लों को निशाना बनाया गया, लेकिन पुलिस की कड़ी तैनाती के कारण बड़ी क्षति रोक दी गई। पठान और तुर्क समुदाय के बीच हुई क्रॉस फायरिंग में चार लोग मारे गए।
कर्फ्यू और सुरक्षा इतिहास
1936 से 2019 तक संभल में कुल 73 दिन कर्फ्यू लगाया गया। इनमें 1948 में 20 दिन, 1978 में 30 दिन, और 2019 में 6 दिन शामिल थे। इस बार पुलिस की सख्ती से हालात जल्दी काबू में आए।
आतंकी नेटवर्क और अवैध हथियार
रिपोर्ट में संभल को आतंकी संगठनों का अड्डा बताया गया है। अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जैसी गतिविधियों का जिक्र है। अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित मौलाना आसिम उर्फ़ सना-उल-हक का कनेक्शन भी संभल से जोड़ा गया।
संभल का बदलता डेमोग्राफी
संभल नगर पालिका क्षेत्र में आजादी के समय 55% मुस्लिम और 45% हिंदू थे। अब मुस्लिम आबादी बढ़कर 85% और हिंदू घटकर 15% रह गई है। लगातार दंगे और तुष्टिकरण की राजनीति ने संभल के सामाजिक ताने-बाने को पूरी तरह बदल दिया है।
विधानसभा में सियासी भूचाल
450 पन्नों की रिपोर्ट कैबिनेट में पेश होने के बाद विधानसभा सत्र में रखी जाएगी। रिपोर्ट लीक होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है। माना जा रहा है कि इसमें कई बड़े नाम सीधे तौर पर कठघरे में खड़े होंगे, जिससे प्रदेश और देश की राजनीति में भूचाल आ सकता है।