शिवहर विधानसभा सीट: कभी कांग्रेस का गढ़, अब बदलते समीकरणों का गवाह

शिवहर : बिहार की राजनीति में शिवहर विधानसभा सीट हमेशा से सुर्खियों में रही है। यह शिवहर जिले की एकमात्र विधानसभा सीट है और यहां पिछले कई दशकों से चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा है। लगभग हर चुनाव में जनता ने नया प्रतिनिधि चुना है। कभी यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन अब समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं।
जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार शिवहर जिले की कुल आबादी 6 लाख 56 हजार 246 है। जिले के चार प्रखंड शिवहर विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं, जबकि एक प्रखंड सीतामढ़ी जिले की बेलसंड विधानसभा सीट में आता है।
शिवहर जिले की 96 प्रतिशत आबादी गांवों में और सिर्फ 4 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है। इस सीट पर सबसे ज्यादा असर वैश्य समुदाय का है। इसके बाद राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण और भूमिहार समुदाय की अहम भूमिका रहती है।
कांग्रेस का गढ़ रहा शिवहर
शिवहर विधानसभा सीट पर 1972 से 1995 तक रघुनाथ झा का दबदबा रहा। वे लगातार छह बार विधायक बने और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे।
- 1972, 1977 और 1980 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता।
- 1990 और 1995 का चुनाव उन्होंने जनता दल के टिकट पर जीता।
अब तक इस सीट पर दलवार जीत का रिकॉर्ड इस प्रकार है:
- राजद (RJD) – 5 बार
- कांग्रेस (INC) – 4 बार
- जनता दल (JD) – 2 बार
- जदयू (JDU) – 2 बार
2015 का विधानसभा चुनाव
2015 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार शरफुद्दीन ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने हम (सेक्युलर) की उम्मीदवार लवली आनंद को करीबी मुकाबले में हराया।
- शरफुद्दीन को 44,576 वोट मिले।
- लवली आनंद को 44,115 वोट मिले।
- जीत का अंतर रहा केवल 461 वोट।
2020 का विधानसभा चुनाव
2020 में मुकाबला जदयू के शरफुद्दीन और राजद के चेतन आनंद के बीच हुआ। इस बार चेतन आनंद ने बड़ी जीत हासिल की।
- चेतन आनंद को 73,143 वोट मिले।
- शरफुद्दीन को 36,457 वोट मिले।
- जीत का अंतर रहा 36,686 वोट।
शरफुद्दीन जीत की हैट्रिक से चूक गए और सीट पर राजद (RJD) का कब्ज़ा हो गया। शिवहर विधानसभा सीट का इतिहास बताता है कि यहां की जनता हर चुनाव में अलग फैसला करती रही है। यही वजह है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी शिवहर सीट पर सबकी नजरें टिकी होंगी।