अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात: B-2 बॉम्बर फ्लाईओवर से अमेरिका ने दिखाई ताकत

अमेरिका और रूस : दुनिया की दो सबसे बड़ी महाशक्तियों के बीच हाल ही में अलास्का के एंकरेज स्थित ज्वाइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में हुई बैठक ने सबका ध्यान खींचा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की यह मुलाकात लगभग छह साल बाद हुई थी, लेकिन खास बात वह पल था जब पुतिन का विमान उतरते ही अमेरिकी वायुसेना ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया।
आसमान में B-2 स्टील्थ बॉम्बर, F-22 और F-35 जैसे उन्नत लड़ाकू विमान एकसाथ उड़ान भरते दिखे। यह दृश्य किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं था। जानकार मानते हैं कि यह महज सुरक्षा इंतज़ाम नहीं बल्कि ट्रंप का “सैन्य माइंडगेम” था, जिससे पुतिन को अमेरिका की तकनीकी और सामरिक बढ़त का एहसास कराया गया।
B-2 स्टील्थ बॉम्बर का संदेश
इस फ्लाईओवर में सबसे अहम था B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर का शामिल होना। यह विमान इतना उन्नत है कि रडार पर दिखाई ही नहीं देता और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, B-2 की मौजूदगी सीधा संदेश था कि अमेरिका किसी भी हालात में रूस या उसके सहयोगियों को जवाब देने की क्षमता रखता है।
अमेरिका बनाम रूस: ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2024
दोनों देशों की ताकत को समझने के लिए ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2024 पर नज़र डालें:
- रक्षा बजट: अमेरिका – $820 बिलियन, रूस – $126 बिलियन
- सक्रिय सैनिक: अमेरिका – 13,28,000 | रूस – 13,20,000
- रिजर्व सैनिक: रूस – 20 लाख | अमेरिका – 7,99,500
- टैंक: रूस – 14,777 | अमेरिका – 4,657
- विमान: अमेरिका – 13,209 | रूस – 4,255
- फाइटर जेट्स: अमेरिका – 1,854 | रूस – 809
- एयरक्राफ्ट कैरियर: अमेरिका – 11 | रूस – 1
इन आंकड़ों से साफ है कि जहां रूस जमीनी ताकत में आगे है, वहीं वायुसेना और नौसेना में अमेरिका का वर्चस्व निर्विवाद है।
मुलाकात की गर्मजोशी और छिपा दबाव
बैठक के दौरान दोनों नेता एक ही कार में बैठकर गंतव्य तक पहुंचे, जो गर्मजोशी का संकेत था। लेकिन उसी समय अमेरिकी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन एक विरोधाभासी संदेश दे रहा था। यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव था, जिससे ट्रंप ने यह जताया कि अमेरिका सिर्फ कूटनीति में ही नहीं बल्कि सैन्य ताकत और तकनीक में भी आगे है।
अलास्का में हुई यह मुलाकात सिर्फ एक कूटनीतिक संवाद नहीं थी, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी थी। ट्रंप ने पुतिन को यह संदेश देने की कोशिश की कि भले ही रूस जमीनी ताकत में मजबूत हो, लेकिन अमेरिका की तकनीक और वैश्विक सैन्य पहुंच उसे हर मोर्चे पर बढ़त दिलाती है।