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नरकटियागंज विधानसभा सीट का समीकरण: कांग्रेस-भाजपा और वर्मा परिवार की सियासी जंग

 नरकटियागंज विधानसभा सीट का समीकरण: कांग्रेस-भाजपा और वर्मा परिवार की सियासी जंग
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बिहार : बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। सियासी बिसात पर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। इसी क्रम में आज चर्चा नरकटियागंज विधानसभा सीट की, जो पश्चिमी चंपारण जिले के अंतर्गत आती है और वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

सीट का इतिहास

नरकटियागंज सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इससे पहले यह शिकारपुर सीट के नाम से जानी जाती थी। 2010 में इस सीट पर पहला चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला। भाजपा उम्मीदवार सतीश चंद्र दुबे ने कांग्रेस प्रत्याशी आलोक प्रसाद वर्मा को हराया था।

सतीश चंद्र दुबे का राजनीतिक सफर

सतीश चंद्र दुबे बाद में राज्यसभा पहुंचे और केंद्र सरकार में मंत्री बने। 2014 में वे लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। उनके लोकसभा पहुंचने के बाद नरकटियागंज सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव कराए गए।

उपचुनाव और रश्मि वर्मा का उदय

2014 के उपचुनाव में भाजपा की रश्मि वर्मा ने जीत दर्ज की। उनका परिवार 1957 से बिहार की राजनीति में सक्रिय रहा है। रश्मि वर्मा ने कांग्रेस के फखरुद्दीन खान को हराकर पहली बार विधानसभा में कदम रखा।

2015 का चुनावी समीकरण

2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विनय वर्मा ने भाजपा की रेनू देवी को मात दी। इस बार भाजपा ने रश्मि वर्मा को टिकट नहीं दिया था, जिसके चलते उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान संभाला और भाजपा का वोट काटा।

2020 में भाभी बनाम जेठ

2020 के चुनाव में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। भाजपा ने रश्मि वर्मा पर भरोसा जताया, जबकि कांग्रेस ने विनय वर्मा को टिकट दिया। नतीजा रश्मि वर्मा की जीत के रूप में सामने आया।

विवादों में रही रश्मि वर्मा

रश्मि वर्मा कई बार अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में रही हैं। 2022 में उनके इस्तीफे की खबरें चर्चा में रहीं, वहीं 2023 में उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। इस मामले को लेकर विवाद गहराया और उन पर आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए।

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