भिवानी मनीषा मर्डर केस: पुलिस लापरवाही पर सवाल, परिजन न्याय की मांग पर अड़े

हरियाणा : हरियाणा के भिवानी जिले में लेडी टीचर मनीषा की हत्या का मामला अब एक बड़ा विवाद बन चुका है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामले को शुरू से गंभीरता से नहीं लिया और यही वजह है कि आरोपियों की गिरफ्तारी आज तक नहीं हो पाई। परिवार और ग्रामीणों ने शव लेने से इनकार करते हुए लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखा है।
आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम कैसे घटित हुआ। दरअसल, भिवानी के गांव ढाणी लक्ष्मण निवासी संजय की बड़ी बेटी मनीषा रोज़ाना स्कूल की बस से घर लौटती थी। लेकिन 11 अगस्त को वह स्कूल बस से घर नहीं लौटी। उस दिन दोपहर करीब 1-1:30 बजे उसने अपने पिता को कॉल कर बताया कि नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए जाना है और आज घर देर से आएगी। शाम करीब 6 बजकर 26 मिनट पर उसके पिता को फिर मनीषा का फोन आया। लेकिन जब उन्होंने वापस कॉल किया तो फोन बंद था। इसके बाद फोन लगातार स्विच ऑफ रहा। परिजनों ने जब पुलिस से संपर्क किया तो पुलिस ने लापरवाही दिखाते हुए कहा कि लड़की भाग गई होगी और दो-चार दिन में वापस आ जाएगी। परिजनों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने भी जांच में कोई सहयोग नहीं किया।
पिता संजय का आरोप है की जब वो मनीषा के बारे में जानकारी लेने नर्सिंग कॉलेज पहुंचे। तो वहां 3 व्यक्ति मौजूद थे जिन्होंने शराब पी रखी थी। जब उनसे पुछा की क्या मनीषा नाम की लड़की यहाँ आई है क्या ? तो उन्होंने साफ़ इनकार करते हुए कहा की यहाँ कोई लड़की नहीं आई है और हमारा कॉलेज तो 1 बजे से बंद है।
12 अगस्त – फोन खुला कुछ मिनटों के लिए
मनीषा का फोन 11 अगस्त की रात से बंद था। लेकिन 12 अगस्त की रात करीब 12 बजकर 4-5 मिनट पर कुछ देर के लिए फोन ऑन हुआ और फिर बंद हो गया। इसके बाद फोन कभी ऑन नहीं हुआ। पुलिस को घटनास्थल से केवल फोन का कवर मिला, लेकिन फोन आज तक नहीं मिला। पिता संजय ने बताया कि उनके 3 बच्चे हैं। जिनमें से दो बड़ी बेटियां और एक छोटा बेटा। मनीषा सबसे बड़ी बेटी थी। मनीषा ने 12वीं कक्षा की पढ़ाई विज्ञान विषय से की थी। वहीं मेडिकल लाइन में जाना चाहती थी। इसलिए मनीषा बीएससी नर्सिंग में दाखिला लेना चाहती थी। आगे उन्होंने बताया की मनीषा करीब 20 दिन पहले ही 22 जुलाई को 18 साल की हुई थी।
कॉलेज की तरफ जाते हुए देखा गया
मामा कुलदीप ने बताया कि प्ले स्कूल और कॉलेज के बीच में रास्ते में पड़ने वाली दुकानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे में अंतिम बार मनीषा को देखा गया है। जिसमें वह प्ले स्कूल से कॉलेज की तरफ जाती हुई दिखाई दे रही है। लेकिन उसके बाद से ही मनीषा गायब है। लेकिन कॉलेज प्रशासन द्वारा जांच में कोई सहयोग नहीं किया गया।
13 अगस्त – खेतों में मिला शव
13 अगस्त की सुबह सिंघानी गांव में नहर के पास एक किसान ने खेतों में युवती का शव देखा। शव की पहचान मनीषा के रूप में हुई। उसकी गर्दन धारदार हथियार से कटी हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उसका गला लगभग 29.5 सेमी तक कटा हुआ था और केवल 0.5 सेमी हिस्सा बचा था। मृतका की आंख और कान भी गायब थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया कि हत्या कैसे हुई और किस हथियार से की गई। रेप को लेकर भी कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया। यही वजह है कि परिजन रिपोर्ट से असंतुष्ट हैं और दोबारा मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम कराने की मांग कर रहे हैं। हत्या के बाद पुलिस ने जब शव परिवार को सौंपना चाहा तो परिजनों ने लेने से इनकार कर दिया। गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने सिंघानी गांव के बस अड्डे पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया। वे आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे।
राजनीतिक हलचल और कार्रवाई
घटना के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह और एसपी मनबीर सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन परिजन पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने SP मनबीर सिंह को हटा दिया और IPS सुमित कुमार को नए SP के रूप में नियुक्त किया। लोहारू थाना प्रभारी अशोक, महिला ASI शकुंतला और डायल-112 की टीम को सस्पेंड कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई।
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
परिवार का कहना है कि अगर पुलिस ने शुरू से गंभीरता दिखाई होती तो मनीषा की जान बच सकती थी। परिजनों ने पुलिस पर दुर्व्यवहार का भी आरोप लगाया। पिता संजय ने बताया कि जब उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज करवानी चाही तो पुलिस ने इसे “भाग गई है” कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया। परिजनों को शक है कि मनीषा के साथ कुछ नर्सिंग कॉलेज में ही हुआ। कॉलेज प्रशासन ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया और सीसीटीवी फुटेज भी नहीं दिखाए गए, जिससे शक और गहरा गया। यही कारण है कि परिवार कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठा रहा है।
आंदोलन और समर्थन
मनीषा की हत्या के विरोध में अब स्थानीय व्यापारी भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं। लोहारू बाजार को बंद रखकर व्यापारियों ने पीड़ित परिवार को समर्थन दिया है। वहीं, परिवार अभी भी आरोपियों की गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर धरने पर बैठा है। परिजनों का साफ कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वे शव नहीं उठाएंगे।