किश्तवाड़ बादल फटने की त्रासदी: 46 की मौत, 69 लापता, पूरा गांव तबाह

किश्तवाड़ (जम्मू-कश्मीर): किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में गुरुवार दोपहर करीब 12:25 बजे बादल फटने से हालात बेहद भयावह हो गए। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दो CISF जवान भी शामिल हैं, जबकि 69 लोग अब भी लापता हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
रातभर रुके राहत कार्य को शुक्रवार सुबह फिर से शुरू किया गया। भारी बारिश के बीच पुलिस, सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय लोग मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं। प्रशासन ने बड़े-बड़े बोल्डर, उखड़े पेड़ और बिजली के खंभे हटाने के लिए कई अर्थ-मूवर्स तैनात किए हैं। अब तक 167 लोगों को घायल अवस्था में बचाया गया है।
तबाही का मंजर
16 रिहायशी मकान और सरकारी इमारतें बह गईं
3 मंदिर, 4 पानी की चक्कियां और 30 मीटर लंबा पुल नष्ट
दर्जनभर से ज्यादा वाहन बाढ़ में बहे
अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी तबाह
मचैल माता यात्रा रोकी गई
चशोटी गांव मचैल माता मंदिर यात्रा का अंतिम सड़क मार्ग वाला पड़ाव है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां से 8.5 किलोमीटर पैदल यात्रा कर 9,500 फीट ऊंचाई पर स्थित मंदिर पहुंचते हैं। इस बार यात्रा 25 जुलाई से शुरू हुई थी और 5 सितंबर तक चलनी थी, लेकिन हादसे के दूसरे दिन से ही रोक दी गई है।
अस्पतालों में गम और तलाश
जिला अस्पताल में घायलों का इलाज जारी है, वहीं परिजन लापता अपनों की खोज में भटक रहे हैं। कई लोग तस्वीरें लेकर अस्पताल पहुंचे हैं। घायल उषा देवी ने बताया, “हमें लगा दुनिया खत्म हो गई। चारों तरफ बस पानी और पत्थर थे।”
एक महिला की मां ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा बहुत छोटा है, बस उसे बचा लो।” तिलक राज शर्मा अपनी लापता भाभी की तस्वीर दिखाकर बोले, “पता नहीं वो किस हाल में होगी।”
सेना और प्रशासन का मोर्चा
सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उनके जवान कठिन हालात में घायलों को निकालने में लगे हैं। सर्च लाइट, रस्सियां और खुदाई के औज़ार राहत कार्य में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर पंकज कुमार शर्मा और SSP नरेश सिंह मौके पर डटे हुए हैं।
राहत एजेंसियों को आशंका है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है। यह त्रासदी उत्तराखंड के धराली गांव में आई फ्लैश फ्लड के महज नौ दिन बाद हुई है।