वलसाड की 9 साल की रिया बनीं अंगदान की मिसाल, 5 लोगों को दी नई जिंदगी

नई दिल्ली/वलसाड : आज विश्व अंगदान दिवस है, और इस दिन को और भी खास बना दिया गुजरात के वलसाड की 9 साल की मासूम रिया की कहानी ने। रिया भले ही अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसने अपने अंगदान से 5 लोगों को नई जिंदगी दी।
मौत के बाद भी बनी जिंदगी की वजह
11 महीने पहले रिया को गंभीर स्वास्थ्य समस्या के चलते ब्रेन डेड घोषित किया गया था। 13 सितंबर 2024 को अचानक उसे उल्टियां और तेज सिरदर्द हुआ। इलाज के बाद भी हालत बिगड़ती गई और 15 सितंबर को सूरत के किरण अस्पताल में भर्ती कराया गया। CT स्कैन में पता चला कि दिमाग में रक्तस्राव हो गया है। अगले दिन डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
परिवार पर गम का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन डॉक्टरों और डोनेटलाइफ संस्था के निलेश मांडलेवाला की समझाइश पर माता-पिता ने साहस दिखाते हुए रिया के अंगदान का फैसला लिया।
किन-किन को मिला जीवन
नवसारी के 13 वर्षीय लड़के को रिया की एक किडनी
अहमदाबाद में एक मरीज को दूसरी किडनी और लिवर
तमिलनाडु की 13 साल की बच्ची को रिया के फेफड़े
मुंबई की अनामत अहमद को रिया के दोनों हाथ
सभी अंगों का प्रत्यारोपण सफल रहा और समय पर पहुंचाने में डोनेटलाइफ टीम ने अहम भूमिका निभाई।
रक्षाबंधन का भावुक पल
रिया के अंगदान की सबसे मार्मिक झलक इस रक्षाबंधन पर दिखी। मुंबई की रहने वाली अनामत अहमद, जिन्हें रिया के हाथ लगाए गए थे, राखी बांधने के लिए वलसाड आईं। उन्होंने रिया के भाई शिवम की कलाई पर राखी बांधी — और यह वही हाथ थे, जिनसे रिया हर साल भाई को राखी बांधती थी।
यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गईं। यह सिर्फ भाई-बहन का प्यार नहीं था, बल्कि इंसानियत और धर्म की सीमाओं को तोड़ने वाली अनोखी मिसाल थी।
मां की आंखों में आंसू
रिया की मां ने अनामत के हाथों को अपने हाथों में लेकर देर तक थामा और रो पड़ीं। यह एहसास बेहद गहरा था — बेटी भले चली गई, लेकिन उसके अंग किसी और के शरीर में जीवित थे, किसी की जिंदगी रोशन कर रहे थे।
अंगदान की सीख
रिया की कहानी हमें सिखाती है कि अंगदान केवल एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं, बल्कि किसी के जीवन में उम्मीद और प्रकाश देने का तरीका है। रिया ने साबित कर दिया कि मृत्यु अंत नहीं है, यह किसी और की जिंदगी की नई शुरुआत हो सकती है।