ट्रंप-आसिम मुनीर की नजदीकी से चीन बेचैन, पाकिस्तान बना नया रणनीतिक मोहरा

पाकिस्तान, जिसे सालों से चीन का “आयरन ब्रदर” कहा जाता रहा है, अब अमेरिका की बाहों में नजर आ रहा है। खास बात यह है कि जिस देश की सेना ने कभी ओसामा बिन लादेन को छिपाए रखा, उसी देश के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में मेहमान बना रहे हैं। यह कूटनीति की दुनिया का एक अनोखा मोड़ है।
अमेरिका-पाकिस्तान का नया रोमांस
पिछले कुछ महीनों में आसिम मुनीर दो बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं। वहीं, ट्रंप ने पाकिस्तान के चुने हुए नेताओं से सीधा संपर्क करने से बचते हुए सेना के साथ रिश्ते मजबूत किए हैं। इस दौरान पाकिस्तानी सामानों पर अमेरिकी टैरिफ कम हुआ, तेल परियोजनाओं को हरी झंडी मिली और पाकिस्तान को एक नए रणनीतिक सहयोगी के तौर पर पेश किया गया।
चीन के लिए सिरदर्द
यह नया समीकरण चीन के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। पाकिस्तान चीन का सबसे भरोसेमंद साझेदार रहा है, खासकर CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) जैसी अरबों डॉलर की परियोजनाओं के कारण। लेकिन अब पाकिस्तान का अमेरिकी खेमे में झुकाव बीजिंग को खटक रहा है।
हालांकि पाकिस्तान ने कहा है कि वह चीन के हितों के खिलाफ अमेरिका से रिश्ते नहीं बनाएगा, लेकिन सवाल यही है कि क्या बीजिंग इसे लंबे समय तक सहन करेगा।
बीजिंग की ठंडी प्रतिक्रिया
अमेरिका से लौटने के बाद आसिम मुनीर जुलाई के अंत में बीजिंग पहुंचे, लेकिन वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनसे मुलाकात नहीं की। चीनी रणनीतिकार मानते हैं कि फिलहाल पाकिस्तान पर आर्थिक और सैन्य निर्भरता के चलते बीजिंग संयम बरतेगा, लेकिन अगर अमेरिका को सैन्य ठिकानों तक पहुंच दी गई, तो यह अस्वीकार्य होगा।
पावर बैलेंस का खेल
दक्षिण एशिया में यह स्थिति शक्ति संतुलन के एक नए दौर की शुरुआत कर सकती है। ट्रंप की “डीलमेकिंग” नीति फिलहाल हलचल तो पैदा कर सकती है, लेकिन पाकिस्तान की वास्तविक आर्थिक और रणनीतिक निर्भरता अब भी चीन पर बनी रहेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने अमेरिका की तरफ ज्यादा झुकाव दिखाया, तो चीन CPEC और ग्वादर पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए दबाव बढ़ा सकता है।