नया आयकर विधेयक 2025 लोकसभा में पारित: आसान नियम, डिजिटल टैक्स और विवाद समाधान के नए प्रावधान

नई दिल्ली : सोमवार को लोकसभा ने नया आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025 पास कर दिया, जो मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे पेश करते हुए कहा कि यह नया कानून भारत की टैक्स प्रणाली को सरल, डिजिटल-फ्रेंडली और विवाद-मुक्त बनाने के लिए तैयार किया गया है।
क्यों बदला जा रहा है कानून?
मौजूदा आयकर कानून पिछले 60 साल से लागू है, जिसमें कई जटिल नियम और धाराएं हैं। नया विधेयक इन जटिलताओं को खत्म करेगा, धाराओं की संख्या घटाएगा और भाषा को आसान बनाएगा। इसमें “कर वर्ष” की सरल अवधारणा लाई गई है, जिससे पहले के “आकलन वर्ष” और “पिछले वर्ष” के अंतर खत्म हो जाएंगे।
क्या-क्या बदलाव होंगे?
- TDS और टैक्स छूट के नियम आसान
- डिजिटल टैक्सेशन और तकनीकी आधारित टैक्स कलेक्शन
- टैक्स विवादों का जल्दी समाधान
- देर से रिटर्न भरने पर भी रिफंड का अधिकार
- छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन में ढील
- शिक्षा के लिए विदेश भेजे जाने वाले पैसे पर 0% TCS
- गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) और “लाभार्थी स्वामी” की नई परिभाषा
संसदीय समिति की भूमिका
इस विधेयक में संसदीय प्रवर समिति की 285 में से ज्यादातर सिफारिशें शामिल की गई हैं। इनमें इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड कटौती बहाल करना, निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती को किराए की संपत्ति पर लागू करना और एनजीओ-धार्मिक ट्रस्टों की कर छूट बनाए रखना शामिल है।
आगे क्या होगा?
लोकसभा में पास होने के बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास अंतिम अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति मिलते ही यह नया आयकर कानून लागू हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल करदाताओं के लिए राहत और पारदर्शिता लेकर आएगा, खासकर डिजिटल टैक्सेशन और विवाद समाधान में।