PM मोदी का बड़ा ऐलान: अमेरिका की मांगों को ठुकराया

नई दिल्ली: अमेरिका से जारी टैरिफ वॉर और व्यापार समझौते की खींचतान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को किसानों के पक्ष में बड़ा और साहसिक बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
प्रधानमंत्री मोदी एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना और किसानों को जोखिम से बचाना, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
किसानों के लिए बड़ी कीमत चुकाने को भी तैयार हूं” – PM मोदी
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भावुक शब्दों में कहा, हमारे लिए किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।”
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सरकार के प्रयास
पीएम मोदी ने बताया कि बीते वर्षों में सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे:
पीएम किसान सम्मान निधि : छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता
फसल बीमा योजना : खेती को प्राकृतिक जोखिमों से सुरक्षा
कृषि सिंचाई योजना : सिंचाई सुविधाओं में सुधार
किसान संपदा योजना : फूड प्रोसेसिंग और भंडारण की सुविधाएं
कोऑपरेटिव और SHG को आर्थिक मदद : ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती
अमेरिका क्या चाहता था?
भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार वार्ताओं में, अमेरिका चाहता था कि भारत:
20% से 100% तक के कृषि टैरिफ हटाए
जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें (GMO सोयाबीन, मक्का) भारत में अनुमति दे
डेयरी उत्पादों पर गैर-टैरिफ बाधाएं खत्म करे
पनीर, दूध पाउडर जैसे डेयरी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोले
लेकिन यह भारत के 8 करोड़ डेयरी किसानों और धार्मिक भावनाओं पर असर डालने वाला कदम होता।
डेयरी विवाद: धार्मिक भावनाओं का भी था सवाल
भारत में डेयरी उत्पाद धार्मिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है। अमेरिकी गायों को मांस से बने उत्पाद भी खिलाए जाते हैं, जो भारतीय परंपराओं से मेल नहीं खाता। इसके अलावा, अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में बहुत सस्ते हैं — जिससे भारतीय किसान बाज़ार में टिक नहीं पाएंगे।
भारत का जवाब: रक्षा और औद्योगिक रियायतें दीं, खेती में नहीं
भारत ने अमेरिका की इन मांगों को खारिज कर दिया। हालांकि औद्योगिक सामान और रक्षा सौदों में कुछ रियायतें दी गईं, लेकिन कृषि और डेयरी को लेकर कड़ा रुख अपनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार किसानों के पक्ष में अडिग है। भारत की खेती, डेयरी और मछली पालन जैसे क्षेत्र केवल आर्थिक नहीं बल्कि संस्कृति और पहचान का सवाल भी हैं। अमेरिका की टैरिफ नीति के दबाव में भी भारत झुका नहीं और यही दिखाता है कि “नया भारत” वैश्विक मंच पर अपने फैसलों में आत्मनिर्भर और आत्मसम्मानी हो चुका है।
