दयाशंकर सिंह vs उमाशंकर सिंह, ठाकुर राजनीति से गरमाई सियासत

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक नवनिर्मित पुल के उद्घाटन से पहले उपयोग में आने पर सियासत गर्मा गई है। योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह और बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह आमने-सामने आ गए हैं। फिलहाल बलिया की राजनीति इस मुद्दे पर काफी गरमा गई है।
बिना उद्घाटन के चालू हुआ पुल, मंत्री भड़के
यह मामला तब शुरू हुआ जब एक नवनिर्मित पुल को बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के चालू कर दिया गया। मंत्री दयाशंकर सिंह ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और PWD के अधिशासी अभियंता को फटकार लगाई। साथ ही उन्होंने इशारों में बसपा विधायक उमाशंकर सिंह पर भी निशाना साधा और कहा कि यह सब उनके इशारे पर किया जा रहा है।
उमाशंकर सिंह की सफाई और तंज
अब बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह NHAI की सड़क है, तो शिकायत वहीं होनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह रसड़ा से विधायक हैं और फिलहाल बीमार हैं, ऐसे में उनपर निशाना साधने का कोई औचित्य नहीं है।
असल मुद्दा या बहाना?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ एक पुल तक सीमित नहीं है, बल्कि असली खेल बलिया की ठाकुर राजनीति से जुड़ा है। बलिया की सियासत में ठाकुरों का प्रभाव शुरू से ही रहा है, और सभी दलों के ठाकुर नेता क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं।
योगी और मायावती दोनों के करीब?
उमाशंकर सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी माने जाते हैं, लेकिन उनका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी अच्छा तालमेल है। साथ ही, वह क्षेत्र के प्रमुख ठेकेदारों में से एक हैं। यही वजह मानी जा रही है कि दयाशंकर सिंह ने उनका नाम लेकर निशाना साधा।
बलिया का यह पुल सिर्फ एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संकेत बन गया है। यूपी में 2025 के निकट आते चुनावों से पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरण और भी उलझते नजर आ रहे हैं। अब देखना यह है कि यह ठाकुर बनाम ठाकुर की लड़ाई आगे कितनी गहराती है या सुलह की कोई राह निकलती है।
