शिक्षकों की भर्ती में बिहार निवासियों को आरक्षण, तेजस्वी की तीखी प्रतिक्रिया

बिहार : बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा की है। इस नीति के तहत TRE-4 भर्ती से बिहार के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
नितीश ने सोशल प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “शिक्षकों की बहाली में बिहार निवासियों को प्राथमिकता देने हेतु शिक्षा विभाग को नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया गया है… यह TRE‑4 से लागू होगा। TRE‑5 के पहले STET भी आयोजित होगा।”
हालांकि इस घोषणा को तेजस्वी यादव ने ‘कॉपी‑पेस्ट’ मामला बताते हुए आलोचना की है, लेकिन इसे जन सड़क पर उठ रही मांगों का सम्मान माना जा रहा है।
डोमिसाइल नीति क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?
डोमिसाइल नीति वह व्यवस्था है जिसमें सरकारी भर्ती में राज्य के निवासियों को ही प्राथमिकता मिलती है।
यह नीति पहले 2020 में लागू की गई थी, लेकिन जुलाई 2023 में रद कर दी गई थी। इस बार इसे फिर से लागू करने की घोषणा की गई है, जिसमें कहा गया है कि वोटर, माता-पिता या पति का निवासी होना ही पात्रता का आधार होगा।
तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया और विपक्ष का रुख
तेजस्वी यादव ने इसका स्वागत करते हुए लिखा, “हाल तक NDA सरकार डोमिसाइल नीति लागू करने से इन्कार करती थी, अब उसकी योजना की नकल कर रही है… शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार, बिजली की फ्री यूनिट – सब का नकल।”
तेजस्वी यादव का कहना है कि दूसरी योजनाओं की तरह यह घोषणा भी चुनाव साल में हड़बड़ी में की गई री-पैकेजिंग है।
अन्य घोषणाएँ: चौतरफा रणनीति
नीतीश सरकार ने हाल में कई घोषणाएँ की हैं जैसे:
बिजली की फ्री यूनिट
रसोइयों, ASHA वर्कर्स और शिक्षकों को मानदेय वृद्धि
युवा आयोग का गठन
कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना
सरकार का दावा है कि अब तक 10 लाख युवाओं को सरकारी पद और 39 लाख को रोजगार मिला है।
नीतीश कुमार का यह चुनावी रणनीति है – हर तबके को छू लेना, ताकि सत्ता का आधार मजबूत हो। डोमिसाइल नीति लागू करके शिक्षक भर्ती में बिहार निवासियों को प्राथमिकता देना एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। लेकिन यह घोषणा वाकई जनहित के लिए है, या चुनावी रणनीति का हिस्सा – यह कहना कठिन है। फिर भी इसका असर लंबे समय तक शिक्षा और सामाजिक न्याय से जुड़ा रहेगा।
