भारतीय सेना करेगी अब तक की सबसे बड़ी खरीद, नौसेना और वायुसेना को मिलेगा नया दम

The Brahmos Missile system passes through the Rajpath during the full dress rehearsal for the Republic Day Parade in New Delhi on January 23,2006.
नयी दिल्ली : ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य अड्डों पर हमला कर भारत ने अपने स्वदेशी हथियारों की शक्ति का प्रदर्शन किया, और इस मिशन में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों ने निर्णायक भूमिका निभाई। अब भारत इन मिसाइलों का जखीरा और मजबूत करने के लिए तैयार है।
रक्षा मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय बैठक में भारतीय नौसेना और वायुसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों की सबसे बड़ी खरीद को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
ब्रह्मोस मिसाइल: सेना की पहली पसंद
भारतीय सेना और वायुसेना पहले से ही ब्रह्मोस का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह डील अब तक की सबसे बड़ी खरीद मानी जा रही है।
- भारतीय नौसेना अपने Veer-Class युद्धपोतों पर इन मिसाइलों को तैनात करेगी।
- भारतीय वायुसेना रूसी मूल के Su-30MKI फाइटर जेट्स को ब्रह्मोस से लैस करेगी।
यह डील न केवल सेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को भी गति देगी।
ऑपरेशन सिंदूर में दिखी ब्रह्मोस की सटीकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने हमारे स्वदेशी हथियारों की क्षमताएं देखीं। ब्रह्मोस मिसाइलों ने हमारे आत्मनिर्भर भारत के विज़न को जमीन पर उतारा।” ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को बेहद सटीकता के साथ निशाना बनाया, जिससे पाकिस्तानी सेना के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ। इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने आतंकी संगठनों की रक्षा के लिए सीमित प्रयास किए।
800 KM रेंज और हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 पर काम जारी
अब भारत और रूस मिलकर लॉन्ग-रेंज ब्रह्मोस वर्जन पर काम कर रहे हैं, जिसकी रेंज 800 किलोमीटर से भी ज्यादा होगी। इसके अलावा, हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 का विकास भी जारी है, जो आने वाले वर्षों में भारत को अत्याधुनिक मिसाइल शक्ति से लैस करेगा। ब्रह्मोस मिसाइलों की ये मेगा खरीद भारतीय रक्षा प्रणाली के लिए गेम चेंजर साबित होगी। इससे न केवल भारत की सैन्य क्षमता बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्ट्रैटजिक ताकत भी और मजबूत होगी।
