‘IWT को स्थगित करना सबसे अहम निर्णय’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान बोले जयशंकर

नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तार से चर्चा के दूसरे दिन विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने राज्यसभा को संबोधित किया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद के घटनाक्रम, सरकार की ओर से उठाए गए कदम और देश की विदेश नीति के बारे में विस्तार से बताया।
विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए। इसके तहत कई राजनयिकों को वापस भेजा गया और पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया। सबसे अहम जो कदम उठाया गया, वो था- सिंधु जल समझौते (IWT) को स्थगित करना।
‘वे बस कुछ बातों को याद रखना पसंद करते हैं’
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनोखा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सुना या सोच सकता हूं, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो।
इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना जरूरी है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक बातें भुला दी जाएं। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे बस कुछ बातों को याद रखना पसंद करते हैं।’
‘तत्कालीन PM ने भारतीय राज्यों के हितों को अनदेखा किया’
सिंधु जल संधि पर जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को अपना समर्थन पूरी तरह से बंद नहीं कर देता। खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।
उन्होंने कहा कि जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल समझौते के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने लोकसभा में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान के हितों की बात की। उन्हें पाकिस्तान के पंजाब की फिक्र थी, लेकिन उन्होंने भारतीय राज्यों के हितों को अनदेखा किया।
तत्कालीन पीएम ने उस वक्त लोकसभा में कहा कि संसद को ये हक नहीं कि कितना पैसा दिया जाए और कितना पानी। कहा जाता है कि सिंधु जल समझौता अच्छी भावना और दोस्ती के तहत किया गया, लेकिन 1960 के बाद से पाकिस्तान ने लगातार भारत पर हमले और आतंकवाद को बढ़ावा दिया।
‘आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे पर लाने में कामयाब रहे’
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘… पिछले एक दशक में, हम आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे पर लाने में कामयाब रहे हैं, चाहे वह ब्रिक्स हो, एससीओ हो, क्वाड हो या द्विपक्षीय स्तर पर…। 26 साल से वांछित तहव्वुर राणा को आखिरकार मोदी सरकार वापस ला पाई है और आज उस पर इस देश में मुकदमे चल रहे हैं।’
ट्रंप के दावों को नकारा
जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विपक्ष के आरोपों पर कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक, राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक भी फोन कॉल नहीं हुआ।’
‘किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं’
राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ, तो कई देश यह जानने के लिए हमसे संपर्क में थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और यह कब तक चलेगा।
हमने सभी देशों को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता केवल द्विपक्षीय होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे थे और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है तो पाकिस्तान को अनुरोध करना होगा। यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता था।
