कौन है मोनिका कपूर जिसे CBI ने US में किया गिरफ्तार? 25 साल से चल रही थी फरार

नई दिल्ली। देश की आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। मोनिका 25 साल पहले जांच एजेंसियों को चकमा देकर विदेश भागी थीं। वहीं, अब सीबीआई मोनिका का प्रत्यर्पण करवाने में कामयाब रही।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)के अधिकारी आज बुधवार की रात तक मोनिका को लेकर भारत पहुंच जाएंगे। CBI के अधिकारियों ने मोनिका को हिरासत में लिया और उसे लेकर अमेरिकन एअरलाइंस की फ्लाइट में बैठ गए हैं। यह फ्लाइट आज रात को नई दिल्ली में लैंड होगी।
कोर्ट ने दी प्रत्यर्ण को मंजूरी
दरअसल भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्ण संधि हुई थी, जिसके तहत अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित जिला न्यायालय (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) ने मोनिका के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। विदेश सचिव मार्को रुबियो ने भी मोनिका के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।
मोनिका का दावा खारिज
हालांकि, मोनिका का दावा था कि प्रत्यर्पण के बाद भारत में उसके साथ बुरा बर्ताव होगा और यह संयुक्त राष्ट्र के यातना विरोधी कन्वेंशन का उल्लंघन होगा। मगर, विदेश सचिव ने मोनिका के दावों को खारिज करते हुए प्रत्यर्ण को मंजूरी दे दी थी।
मोनिका पर क्या हैं आरोप?
बता दें कि मोनिका कपूर पर 1999 में भारत सरकार के साथ फ्रॉड करने का आरोप है। मोनिका ने अपने दो भाईयों राजीव खन्ना और राजन खन्ना के साथ मिलकर ज्वैलरी के बिजनेस के फर्जी दस्तावेज तैयार किए।
इन दस्तावेजों को दिखाकर मोनिका ने भारत सरकार से कच्चे माल के शुल्क मुक्त (Duty Free) आयात का लाइसेंस ले लिया था। CBI के प्रवक्ता के अनुसार मोनिका और उसके भाईयों ने फर्जी ज्वैलरी कंपनी का लाइसेंस बनवाया और इसे डीप एक्सपोर्ट को बेच दिया।
डीप एक्सपोर्ट ने यही लाइसेंस दिखाकर सोने का शुल्क मुक्त निर्यात किया, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ था। मोनिका के खिलाफ इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया था। वहीं, दिल्ली की स्पेशल कोर्ट ने 2010 में मोनिका के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।
कितना हुआ नुकसान?
आकंड़ों की मानें तो मोनिका की इस जालसाजी से भारत सरकार को 679000 अमेरिकी डॉलर (5.7 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था। भारत ने अमेरिका से 2010 में प्रत्यर्पण संधि के तहत मोनिका को सौंपने का आग्रह किया था।
