हिंदी के खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर साथ आए

शनिवार को 20 वर्षों के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ एक मंच पर आए, जिससे राज्य में राजनीतिक गर्माहट चरम पर पहुंच गई है। इस ऐतिहासिक मंचीय मिलन पर कई राजनीतिक पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिनमें शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री प्रताप सरनाईक ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) का उद्देश्य मराठी लोगों के हित से ज्यादा, मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में सत्ता हासिल करना है।
सरनाईक ने इस दौरान डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की प्रशंसा की और बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार से मराठी भाषा को क्लासिकल दर्जा दिलाने के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएमसी पर 25 साल तक शिवसेना का शासन रहने के दौरान मराठी लोगों को होटल, रियल एस्टेट और सोने-चांदी के कारोबार से बाहर कर दिया गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज जो नेता मराठी के नाम पर एक हुए हैं, वे पहले क्यों अलग थे? उनका मानना है कि इन नेताओं की राजनीति स्वार्थी और झूठी है। सरनाईक ने यह भी कहा कि राज ठाकरे ने मराठी लोगों की बात करने के लिए एमएनसी बनाई थी, लेकिन पिछले 19 वर्षों में हालात और बिगड़े हैं।
उन्होंने वर्ली में आयोजित विजय रैली पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह बीएमसी की कुर्सी के लिए थी, न कि मराठी के सम्मान के लिए। इसके साथ ही, उन्होंने भायंदर में उत्तर भारतीय दुकानदार पर मराठी न बोलने को लेकर हुए हमले की कड़ी निंदा की, और कहा कि सभी राज्यों के लोग यहां मिलजुलकर रहते हैं, लेकिन कुछ लोगों ने माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया है।
