Facebook Twitter Instagram youtube youtube

कौन होगा दलाई लामा का उत्तराधिकारी? तिब्बती धर्मगुरु ने लिया एक नाम

 कौन होगा दलाई लामा का उत्तराधिकारी? तिब्बती धर्मगुरु ने लिया एक नाम
Spread the love

धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए स्पष्ट किया है कि दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने यह बयान 24 सितंबर 2011 को हुए उस ऐतिहासिक सम्मेलन के संदर्भ में दिया जिसमें उन्होंने पहली बार यह मुद्दा उठाया था कि क्या दलाई लामा की परंपरा को भविष्य में जारी रखा जाना चाहिए या नहीं।

दलाई लामा ने याद दिलाया कि वे 1969 में ही यह कह चुके थे कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने का निर्णय तिब्बती जनता और संबंधित लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जब वे लगभग 90 वर्ष के होंगे, तब वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के वरिष्ठ लामाओं और जनता से इस विषय पर विचार-विमर्श करेंगे।

हालांकि, इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, धार्मिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, और विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों विशेषकर तिब्बत के भीतर रहने वाले तिब्बतियों ने उनसे निवेदन किया कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाए।

इन अनुरोधों को स्वीकार करते हुए बुधवार को अपने निवास स्थान मैक्लोडगंज में दलाई लामा ने घोषणा की है कि दलाई लामा की परंपरा जारी रहेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य के दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान की जिम्मेदारी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को होगी, जो उनके कार्यालय द्वारा संचालित है।

इस प्रक्रिया में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धर्म रक्षकों से परामर्श लिया जाएगा और मान्यता की प्रक्रिया परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार की जाएगी। दलाई लामा ने यह दोहराया कि इस विषय में किसी अन्य संस्था या सरकार को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

दलाई लामा का ऐतिहासिक वक्तव्य (24 सितंबर 2011)

पुनर्जन्म की परंपरा लोगों की इच्छा पर निर्भर तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने 24 सितंबर 2011 को तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में एक ऐतिहासिक बयान जारी किया था।

इस बयान में उन्होंने अपने पुनर्जन्म और दलाई लामा संस्था के भविष्य को लेकर स्पष्ट विचार रखे थे। दलाई लामा ने याद दिलाया कि 1969 में उन्होंने यह सार्वजनिक रूप से कहा था कि भविष्य में दलाई लामा की पुनर्जन्म परंपरा जारी रहनी चाहिए या नहीं, यह तिब्बती जनता और संबंधित लोगों को तय करना चाहिए।

90 वर्ष की आयु में पुन: मूल्यांकन की बात

दलाईलामा ने यह भी कहा कि जब वे लगभग 90 वर्ष के होंगे, तब वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के वरिष्ठ लामाओं, जनता और अन्य बौद्ध समुदायों से सलाह करेंगे, ताकि यह पुन: मूल्यांकन किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं।

राजनीतिक हस्तक्षेप से इनकार

दलाई लामा ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी राजनीतिक सत्ता, विशेष रूप से चीन सरकार, इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि भविष्य के दलाई लामा को पहचानने का अधिकार पूरी तरह  से तिब्बती गुरुओं को होगा।

गादेन फोडरंग ट्रस्ट को मान्यता की जिम्मेदारी

उन्होंने यह ऐलान किया कि भविष्य में किसी दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट जो उनके कार्यालय द्वारा संचालित है, को ही होगी। यह ट्रस्ट तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धर्म रक्षकों से परामर्श कर परंपरागत तरीकों से मान्यता देगा।

कौन हैं दलाई लामा?

दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक नेता हैं, जिन्हें अवलोकितेश्वर (करुणा के बोधिसत्त्व) का अवतार माना जाता है। उनकी पुनर्जन्म की परंपरा सदियों पुरानी है, और प्रत्येक नए दलाई लामा को विशेष धार्मिक प्रक्रियाओं के तहत खोजा और मान्यता दी जाती है।

चीन सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि वह अगला दलाई लामा अपने तरीके से तय करेगी, जिसे तिब्बती समुदाय और दलाई लामा ने पूरी तरह खारिज किया है।

 

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *