Facebook Twitter Instagram youtube youtube

‘जब एक परिवार खुद को देश से ऊपर मान लेता है तो आपातकाल लगता है’, जयशंकर का कांग्रेस पर तंज

 ‘जब एक परिवार खुद को देश से ऊपर मान लेता है तो आपातकाल लगता है’, जयशंकर का कांग्रेस पर तंज
Spread the love

नई दिल्ली। 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी, जो 21 मार्च 1977 तक रहा। 2025 में इमरजेंसी को 50 साल पूरे हो गए और इस दौरान भाजपा नेताओं द्वारा लगातार कांग्रेस पर निशाना साधा जा रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिल्मी अंदाज में कंग्रेस को निशाने पर लिया है और उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करने के लिए फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ का हवाला दिया।

जयशंकर ने कहा, “यह सब एक परिवार की वजह से हुआ। किस्सा कुर्सी का नाम की एक फिल्म है और ये तीन शब्द आपातकाल लगाए जाने के पीछे की वजह को बखूबी बताते हें। जब एक परिवार को देश से ऊपर माना जाता है तो आपातकाल जैसी चीजें होती हैं।”

विदेश मंत्री ने मॉक संसद को किया संबोधित

भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा आयोजित मॉक संसद के उद्घाटन के मौके पर संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौरान संसद का विपक्षी पक्ष खाली था क्योंकि नेता जेल में थे।

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र थे और उनकी उम्र 20 वर्ष थी। जयशंकर ने कहा कि आपातकाल से सबसे बड़ी सीख यह है कि अपनी स्वतंत्रता को कभी भी हल्के में न लें।

आपातकाल के बारे में जयशंकर की राय

जयशंकर ने कहा, जो लोग आपातकाल के बारे में नहीं जानते, उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक मामला था। लेकिन इसने जीवन जीने के तरीके को प्रभावित किया।”

विदेश मंत्री ने कहा कि आपातकाल की पूरी प्रक्रिया देश और समाज का मनोबल तोड़ने के लिए थी। उन्होंने कहा कि जो लोग राजनीति में नहीं थे, उन पर भी इसका असर पड़ा, जबकि जो लोग राजनीति में थे वे अच्छी तरह जानते थे कि राजनीति करने का मतलब है गिरफ्तारी।

केंद्रीय मंत्री ने 1971 के चुनावों के उस दौर को भी याद किया जब सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई थी, देश में भ्रष्टाचार बढ़ गया था और महंगाई चरम पर थी। उन्होंने आगे कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद प्रधानमंत्री पर दो मामलों में आरोप लगाए गए थे।

1971 के चुनाव के बाद क्या था देश का मूड?

जयशंकर ने कहा, “1971 में चुनाव जीतने के बाद, कुछ वर्षों के भीतर, सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई थी। भ्रष्टाचार बढ़ गया था, मुद्रास्फीति बहुत अधिक थी और लहर उनके पक्ष में नहीं थी। लोग गुस्से में थे। गुजरात और बिहार में आंदोलन चल रहे थे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री पर दो मामले दर्ज किए गए, भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग”।

विदेश मंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान कुल 48 अध्यादेश पारित किए गए और उसके बाद पांच संशोधन किए गए। उन्होंने बताया कि पांच में से तीन संशोधन बहुत खास थे।

उन्होंने कहा कि 38वां संशोधन आपातकाल की घोषणा के बारे में था, जबकि 39वां संशोधन प्रधानमंत्री के चुनाव को अदालत में चुनौती देने के बारे में था।

 

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *