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अहमदाबाद रथयात्रा 2025: जुलूस में हाथी बेकाबू, गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं

 अहमदाबाद रथयात्रा 2025: जुलूस में हाथी बेकाबू, गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं
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Report by : Garima

अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की 148वीं ऐतिहासिक रथयात्रा के दौरान अहमदाबाद में एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। जुलूस में शामिल एक हाथी अचानक बेकाबू हो गया और रथ को पीछे छोड़ते हुए आगे भागने लगा। यह हाथी रथ के सबसे आगे चल रहा था। घटना के तुरंत बाद महावत और अन्य कर्मचारी हाथी को नियंत्रित करने के प्रयास में उसके पीछे दौड़े, जबकि श्रद्धालुओं ने सतर्कता दिखाते हुए स्वयं को हाथी के रास्ते से हटा लिया।

कोई हताहत नहीं, हाथी को जल्द किया गया काबू

गनीमत रही कि इस पूरी घटना में किसी को चोट नहीं आई। वन विभाग की टीम ने कुछ देर बाद हाथी को सफलतापूर्वक काबू में कर लिया। घटना के बाद सुरक्षा की दृष्टि से रथयात्रा से कुल तीन हाथियों को हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि तेज़ शोर के कारण हाथी घबरा गया था।

वीडियो में कैद हुई घटना

इस घटना से जुड़े दो वीडियो भी सामने आए हैं। पहले वीडियो में बेकाबू हाथी को रथयात्रा से अलग होकर भागते हुए देखा जा सकता है। दूसरे वीडियो में अन्य हाथी असामान्य व्यवहार करते दिखाई देते हैं, जबकि महावत उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, किसी अन्य हाथी ने कोई नुकसान नहीं पहुँचाया।

रथयात्रा का महत्व और मार्ग

पुरी (ओडिशा) के बाद अहमदाबाद की जगन्नाथ रथयात्रा देश की दूसरी सबसे बड़ी रथयात्रा मानी जाती है। 27 जून 2025 को सुबह 7 बजे यह यात्रा जमालपुर स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई। यह जुलूस लगभग 18 किलोमीटर के रास्ते से होकर गुजरता है, जिसमें रायपुर, कालुपुर, शाहपुर, दरियापुर, सरसपुर, प्रेम दरवाजा, दिल्ली चकला और माणेक चौक जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। रथयात्रा रात 8:30 बजे मंदिर वापस लौटेगी।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इतिहास और आस्था से जुड़ी इस भव्य यात्रा में 18 सजाए गए हाथी, 101 झांकियां, 30 अखाड़े, 18 भजन मंडलियां और 3 बैंड-बाजे शामिल हैं। सुरक्षा के लिए प्रशासन ने 23,884 से अधिक सुरक्षाकर्मी, 41 ड्रोन, 130 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे, एआई आधारित निगरानी प्रणाली और 25 वॉच टावर तैनात किए हैं।

नोट: इस प्रकार की घटनाएं यह याद दिलाती हैं कि धार्मिक आयोजनों में पशुओं की भागीदारी को लेकर सतर्कता और मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। आयोजकों को भविष्य में और भी अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

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