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स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला, 14 दिन तक अंतरिक्ष में क्या करेंगे? पढ़ें पूरी डिटेल

 स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला, 14 दिन तक अंतरिक्ष में क्या करेंगे? पढ़ें पूरी डिटेल
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नई दिल्ली। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सहित चारों एस्ट्रोनॉट आज गुरुवार करीब 28 घंटे के सफर के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुके हैं। अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन’ स्पेस स्टेशन से डॉक कर चुका है।

ड्रैगन कैप्सूल पहले से तय समय से 20 मिनट पहले डॉक हुआ। करीब 2 घंटे तक कैप्सूल की जांच होगी। डॉकिंग एक स्वचालित प्रक्रिया है। बता दें कि तय समय से लगभग 34 मिनट पहले पहले यान स्पेस स्टेशन पहुंचा।

मिशन से पहले क्रू ने स्पेसक्राफ्ट से बातचीत की। इस दौरान शुभांशु ने नमस्कार फ्रॉम स्पेस कहा। उन्होंने कहा कि मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां होने के लिए बहुत एक्साइटेड हूं।

ISS पहुंचने वाले में भारत के दूसरे नागरिक बने शुभांशु

शुभांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सल्युत- 7 स्पेस स्टेशन पर आठ दिन रहे थे। शुभांशु की यह यात्रा अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी स्पेसअक्स द्वारा संचालित एक चार्टर्ड मिशन के तहत हुई है।

शुभांशु शुक्ला 14 दिनों तक स्पेस में रहेंगे। इस दौरान वो सात एक्सपेरिमेंट करेंगे। यह प्रयोग कई भारतीय संस्थानों की ओर से बढ़ाए गए हैं।

अंतरिक्ष में यह सात एक्सपेरिमेंट करेंगे शुभांशु

पहला रिसर्च

मायोजेनेसिस की स्टडी यानी अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के मांसपेशियों पर असर का अध्ययन किया जाएगा। अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियां घटने लगती हैं. कमजोर पड़ने लगती हैं। सुनीता विलियम्स के साथ भी ऐसा ही हुआ था।

भारत के Institute of Stem Cell Science and Regenerative Medicine माइक्रोग्रैविटी में होने वाले इस प्रयोग के तहत मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों का आगे अध्ययन करेगा और ऐसे इलाज विकसित कर सकेगा। यह स्टडी भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए काफी कारगर होगा।

दूसरा रिसर्च

शुभांशु का दूसरा एक्सपेरिमेंट फसलों के बीजों से जुड़ा है। यह पता लगाया जाएगा कि  माइक्रोग्रैविटी का बीजों के जेनेटिक गुणों पर क्या असर पड़ता है।

तीसरा रिसर्च

तीसरा एक्सपेरिमेंट आधे मिलीमीटर से छोटे जीव टार्डीग्रेड्स पर किया जाएगा। शुभांशु यह स्टडी करेंगे कि अंतरिक्ष में इस छोटे से जीव के शरीर पर क्या असर पड़ता है। टार्डीग्रेड्स को दुनिया का सबसे कठोर और सहनशील जीव माना जाता है. ये धरती पर 60 करोड़ साल से जी रहे हैं।

चौथा रिसर्च

शुभांशु चौथा रिसर्च माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर होगा। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोएल्गी  का माइक्रोग्रैविटी पर क्या असर प़ड़ता है। यह मीठे पानी और समुद्री वातावरण दोनों में पाए जाते हैं। पता लगाया जाएगा कि क्या भविष्य के लंबे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण में उनकी भूमिका हो सकती है।

पांचवां रिसर्च

शुभांशु शुक्ला मूंग और मेथी के बीजों पर भी स्टडी करेंगे। माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य है कि अगर भविष्य में अंतरिक्ष में बीजों  को अंकुरित करने की जरूरत पड़ी तो क्या यह संभव है।

छठा रिसर्च

स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया की दो किस्मों पर रिसर्च करने से जुड़ा है।

सातवां रिसर्च

अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की परिस्थितियों में कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर कैसा असर पड़ता है। शुभांशु इस पर स्टडी करेंगे।

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