सद्दाम को मारने के लिए मोसाद ने चलाया था ‘आत्मघाती ऑपरेशन’, ताबूत में लौटे थे इजरायली कमांडो

बगदाद। इजरायल के ईरान पर हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है। इजरायल ने 13 जून को अचानक ईरान के कई शहरों में हवाई हमले किए। इन हमलों में ईरान के कई बड़े सैन्य कमांडरों और प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
इजरायल के एक ही रात में ईरानी आर्मी के चीफ, IRGC कमांडर और प्रमुख वैज्ञानिकों को मार डालने के पीछे उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद का प्लान था। मोसाद ने अपनी एयरफोर्स को जानकारी दी और उन्होंने ईरानी सैन्य नेतृत्व पर हमले किए।
मोसाद को दुनिया की सबसे सफल खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है लेकिन एक मौका ऐसा भी आया था, जब ये एजेंसी बुरी तरह फेल हुई। ये सद्दाम हुसैन को मारने का मामला था, जो मोसाद के लिए आत्मघाती साबित हुआ।
मोसाद ने 1990 के दशक की शुरुआत में इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की हत्या का प्लान बनाया था। इजरायल ने इसे ऑपरेशन ब्रम्बल बश नाम दिया था।
1991 के खाड़ी युद्ध के बाद इजरायल और अमेरिका ने सद्दाम को खतरे के तौर पर देखना शुरू किया। ऐसे में इजरायली सेना और खुफिया योजनाकारों ने सद्दाम की हत्या करने की योजना बनाई। मोसाद की योजना सद्दाम को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मारने की थी।
सबसे काबिल यूनिट को दिया जिम्मा
सद्दाम हुसैन को मारने का जिम्मा ऑपरेशन ब्रम्बल बश के तहत इजरायल की सबसे काबिल कमांडो यूनिट सायेरेट मटकल को सौंपा गया। सद्दाम के गृहनगर तिकरित में एक अंतिम संस्का में सद्दाम के आने की उम्मीद थी।
ऐसे में प्लान बना कि इजरायली कमांडो अरबी ड्रेस में भीड़ के करीब जाएंगे और सद्दाम के काफिले पर कंधे से दागी जाने वाली मिसाइलों से हमला करेंगे। मोसाद से खुफिया जानकारी मिलने के बाद IDF ने ऑपरेशन को मंजूरी दे दी।
सद्दाम पर हमले के पहले 5 नवंबर, 1992 को सायरेट मटकल की टीम ने नेगेव रेगिस्तान में अभ्यास किया। वे असली हमले की तरह अभ्यास करना चाहते थे इसलिए असली मिसाइलों का इस्तेमाल किया क्योंकि उन्हें लगा कि सुरक्षा के इंतजाम पूरी तरह से ठीक हैं लेकिन ऐसा नहीं था।
अभ्यास के दौरान एक कमांडो ने अपनी ही टीम पर मिसाइल दाग दी। इससे पांच इजरायली कमांडो मारे गए और छह गंभीर रूप से घायल हुए। इसके बाद मिशन को तुरंत रद्द किया गया। इजरायल में इसे आपदा के रूप में जाना गया।
कई वर्षों तक छुपाया गया ये ऑपरेशन
इस घटना की जांच में पता चला कि योजना बनाने, बातचीत करने और खतरे का आकलन करने में गंभीर गलतियां हुई थीं। इस ऑपरेशन को रद्द कर दिया गया लेकिन अपने कमांडो की मौत को इजरायल ने कई वर्षों तक जनता से छुपा कर रखा। इस ऑपरेशन के फेल हो जाने की जानकारी भी वर्षों बाद सामने आई।
इजरायल ने अब एक बार फिर दूसरे देश के शीर्ष नेताओं को निशाना बना रहा है। इस बार निशाना बगदाद नहीं बल्कि तेहरान है। हालांकि तर्क यही है कि तेहरान के पास खतरनाक हथियार हैं। यही बात अमेरिका ने इराक पर हमला करते हुए कही थी।
