मायावती की तारीफ और आकाश आनंद को समर्थन से बढ़ी सियासी हलचल

लखनऊ, उत्तर प्रदेश : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। भाजपा, सपा और बसपा—तीनों बड़े दलों से जुड़ चुके मौर्य अब अपने हालिया बयानों से बहुजन समाज पार्टी (BSP) में संभावित वापसी के संकेत दे रहे हैं।
मायावती की तारीफ और आकाश आनंद को बधाई, क्या है संकेत?
बाराबंकी में एक कार्यक्रम के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने न केवल भाजपा और समाजवादी पार्टी पर हमला बोला, बल्कि बसपा और मायावती के प्रति नरमी भी दिखाई। उन्होंने कहा,“मायावती अब तक की सबसे बेहतर मुख्यमंत्री रही हैं… लेकिन अब वो पहले जैसी नहीं रहीं।” इसके साथ ही उन्होंने बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को बधाई दी और कहा कि उन्हें पार्टी में अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। दो दिनों में आए इन बयानों से सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि मौर्य बसपा में वापसी की पिच तैयार कर रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर: बसपा से बीजेपी और सपा तक
1996: बसपा से पहली बार विधायक बने (डलमऊ सीट)
मायावती के करीबी और शक्तिशाली मंत्री रहे
2016: मायावती पर आरोप लगाकर बसपा छोड़ी
2017: बीजेपी में शामिल होकर योगी सरकार में मंत्री बने
2022: सपा में शामिल, लेकिन चुनाव हार गए
अब: खुद की ‘जनता पार्टी’ और ‘लोक मोर्चा’ बनाकर सीएम फेस घोषित
बसपा में क्यों लौटना चाहते हैं स्वामी?
विश्लेषकों के मुताबिक, बसपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक कद वैसा नहीं रहा जैसा बसपा में था। न बीजेपी में वो प्रभाव रहा, न सपा में सफलता मिली। अब खुद की पार्टी बनाकर भी वह वैसी जनाधार की राजनीति नहीं गढ़ सके हैं। बसपा भी पुराने नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में यह समीकरण बन रहा है कि एक ओर स्वामी मौर्य अपने सियासी करियर को पुनर्जीवित करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर बसपा को भी पुराने सशक्त चेहरों की तलाश है।
क्या बसपा के लिए भी यह अवसर है?
स्वामी प्रसाद मौर्य ओबीसी खासकर कुशवाहा-मौर्य वोटबैंक में प्रभाव रखते हैं। आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अगर बसपा उन्हें वापस पार्टी में लेती है, तो यह एक राजनीतिक फायदे का सौदा हो सकता है।
