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न कोई एजेंट; न कोई फौजी, ‘अदृश्य ताकत’ ने ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट को दी थी मौत

 न कोई एजेंट; न कोई फौजी, ‘अदृश्य ताकत’ ने ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट को दी थी मौत
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तेहरान। इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का हवाला देते हुए बीते शुक्रवार को हमले करने शुरू कर दिए। इस हमले में आम नागरिक और सैन्य अफसरों के अलावा 6 परमाणु वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाकर मार गिराया गया।

ईरानी न्यूज एजेंसी तस्नीम न्यूज के अनुसार, जिन वैज्ञानिकों को इजरायल ने निशाना बनाया था, उनमें मोहम्मद मेहदी तेहरानची और फरेदून अब्बासी अहम परमाणु वैज्ञानिक थे। इस हत्या के साथ ईरान के वो जख्म फिर से हरे हो गए जो पांच बरस पहले इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने दिए थे।

दरअसल साल 2020 में मोसाद ने ईरान के परमाणु प्रोग्राम के जनक कहे जाने वाले एक वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह को बड़े ही नाटकीय तरीके से मार गिराया था। ये ऐसी हत्या थी, जिसमें न कोई हत्यारा नजर आया, न कोई सुराग छोड़ा और हत्या के वक्त मौके पर कोई इजरायली एजेंट भी मौजूद नहीं था।

कौन थे मोहसिन फखरीजादेह?

मोहसिन फखरीजादेह भले ही ईरान के टॉप साइंटिस्ट थे लेकिन उन्हें कोई जानता नहीं था। उनकी न तो कोई तस्वीर, न इंटरव्यू पब्लिक डोमेन में थी और न ही वह कभी पब्लिक में दिखते थे। इजरायल के खुफिया महकमों में इस साइंटिस्ट के लिए कहा जाता था कि वह एक साए की तरह है।

पश्चिमी खुफिया एजेंसियों का मानना था कि मोहसिन फखरीजादेह ईरान के “प्रोजेक्ट अमद” के सरगना थे। इस प्रोजेक्ट के तहत 2000 के दशक में परमाणु हथियार बनाने की कोशिश हुई। उन्हें ईरान का “रॉबर्ट ओपेनहाइमर” तक कहा जाता था।

साल 2018 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने चुराए गए ईरानी दस्तावेजों का जिक्र करते दुनिया के सामने मोहसिन फखरीजादेह का नाम बताया था। इसके बाद से ही मोहसिन खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गए।

मोसाद ने ‘चमत्कारिक’ तरीके से मोहसिन फखरीजादेह को मारा

27 नवंबर 2020 को मोहसिन फखरीजादेह अपनी पत्नी और सुरक्षा गार्ड के साथ तेहरान में अपने घर जा रहे थे। इस बीच रास्ते में एक लावारिस हालात में ट्रक खड़ा दिखता है।

जैसे मोहसिन की गाड़ी ट्रक के करीब पहुंचती है उसमें से गोलियां चलने लगती है। इस हमले का निशाना इतना सटीक था कि उनके पास बैठी उनकी पत्नी को एक खरोंच भी नहीं आती है।

ईरानी नेताओं ने इस हमले के पीछे मोसाद का हाथ बताया था। उनके मुताबिक, ट्रक में 7.62 एमएम की मशीन गन छिपा कर रखी गई थी। इसमें चेहरा पहचानने वाली AI, सैटेलाइट कनेक्शन और बारुद था। कोई एजेंट वहां मौजूद नहीं था। मोहसिन फखरीजादेह की निसान टिएना कार, जिसपर मोसाद की अदृश्य शक्ति से चलाई थी अंधाधुंध गोलियां

काफिला रुका और ‘अदृश्य ताकत’ चलाने लगी गोलियां

दरअसल हथियार सैटेलाइट के जरिए चलाया गया। जैसे ही मोहसिन का काफिला ट्रक के पास पहुंचा और उसकी रफ्तार धीमी हुई, उसी वक्त मशीन गन से गोलियां चलने लगी। ये गोलियां मोहसिन फखरीजादेह की गाड़ी के शीशे के नीचे लगीं। गाड़ी रुकते ही दूसरी बार गोलियां चलीं, जो फखरीजादेह के कंधे को भेद गईं।

लेखक योनाह जेरेमी बॉब और इलान इवितार ने अपनी किताब ‘टार्गेट तेहरान’ में वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह के बारे में विस्तार से लिखा है। किताब में मोहिसन की हत्या को लेकर लिखा गया है, “मोहसिन फखरीजादेह गाड़ी से उतरे और दरवाज़े के पीछे छुपे,

मगर तीन और गोलियां उनकी रीढ़ में लग चुकी थी। वो सड़क पर गिर पड़े। उनकी बीवी को खरोंच तक न आई। कुल 15 गोलियां चलीं। इसके बाद ट्रक में धमाका हुआ, ताकि हथियार के सबूत को मिटाया जा सके।” बाद में इजरायली मोसाद के पूर्व चीफ योसी कोहेन ने बाद में इशारा किया कि मोहसिन इजरायल के निशाने पर थे।

ईरान ने बदला लेने की खाई थी कसम

मोहसिन फखरीजादेह को आनन फानन में हेलिकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया। लेकिन ईरान के बदनसीबी ही थी कि उसका न्यूक्लियर हथियार से संपन्न होने का ख्बाव धरा का धरा रह गया।

शाम 6 बजे के करीब ईरान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि देश के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक कहे जाने वाले मोहसिन फखरीजादेह अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।

हत्या के तीन दिन बाद वैज्ञानिक मोहसिन को तेहरान में दफना दिया गया। फातिहा पढ़ने के बाद तत्कालीन ईरानी रक्षा मंत्री और मौजूदा आर्मी चीफ अमीर हातमी ने मोहसिन के हत्या का बदला लेने की कसम खाई थी।

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