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सऊदी, पाकिस्तान सहित इजरायल पर बरसे दुनिया के 19 मुस्लिम देश; तत्काल युद्ध विराम का आह्वान

 सऊदी, पाकिस्तान सहित इजरायल पर बरसे दुनिया के 19 मुस्लिम देश; तत्काल युद्ध विराम का आह्वान
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इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने 19 अन्य मुस्लिम बहुल देशों के साथ मिलकर इजरायल के खिलाफ एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में ईरान के खिलाफ इजरायल की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई है। इजरायल ने 13 जून के बाद ईरान पर भीषण बमबारी की है।

इनमें ईरानी परमाणु संयंत्रों समेत राजधानी तेहरान और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इजरायली हमलों में अब तक कम से कम 500 ईरानी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि इससे कई गुना लोग घायल बताए जा रहे हैं।

वहीं, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल की राजधानी तेल अवीव को निशाना बनाया है। इन हमलों में दर्जनों इजरायली नागरिक भी मारे गए हैं।

किन मुस्लिम देशों ने जारी किया बयान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अल्जीरिया, बहरीन, ब्रुनेई दारुस्सलाम, चाड, कोमोरोस, जिबूती, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लीबिया, मॉरिटानिया, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, तुर्की, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रियों ने इजरायल की कार्रवाइयों पर नाराजगी जताई और तत्काल युद्ध विराम और तनाव कम करने का आह्वान किया।

इजरायली हमलों पर जताई नाराजगी

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि इजरायल के हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। मंत्रियों ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल देते हुए राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया।

बयान में कहा गया है, “ईरान के खिलाफ हाल ही में इजरायल की आक्रामकता पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है।” उन्होंने कहा, “हम शत्रुता को तत्काल रोकने और आगे की वृद्धि को रोकने के लिए राजनयिक संवाद की वापसी का आह्वान करते हैं।”

मध्य पूर्व से परमाणु हथियारों के उन्मूलन पर दिया जोर

मंत्रियों ने परमाणु हथियारों और सामूहिक विनाश के अन्य हथियारों से मुक्त मध्य पूर्व क्षेत्र के निर्माण का भी आह्वान किया। उन्होंने सभी क्षेत्रीय देशों से परमाणु हथियारों के अप्रसार संधि (NPT) में शामिल होने का आग्रह किया। कहा गया कि यह मांग दीर्घकालिक क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुरूप है।

इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में आने वाली परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी सुविधाओं पर कोई भी हमला न केवल अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि 1949 के जिनेवा सम्मेलनों में उल्लिखित मानवीय सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर क्या कहा

अपने बयान में, मंत्रियों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बातचीत पर लौटने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि कूटनीति ही एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एकमात्र व्यवहार्य मार्ग है। सामूहिक आह्वान सभी पक्षों से तेजी से चर्चा फिर से शुरू करने और संकट के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करने का था।

बयान के अंत में कहा गया, “आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका बातचीत और अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना है। सैन्य साधनों से स्थायी समाधान नहीं लाया जा सकता है।” मंत्रियों ने समुद्री सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों में नौवहन की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की, और उन कार्यों को समाप्त करने का आह्वान किया जो इन मूलभूत सिद्धांतों को खतरे में डाल सकते हैं।

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