महाकुंभ में घोटाले का महा खुलासा: 1000 करोड़ के बजट में 500 करोड़ की मनमानी, 40 करोड़ की नगद उगाही का आरोप!

लखनऊ : लखनऊ के पर्यटन विभाग से एक और भर्ष्टाचार्य का मामला सामने आया है। महाकुंभ के भव्य आयोजन के नाम पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग को मिले 1000 करोड़ रुपये के बजट में अब एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, इस बजट में से लगभग 200 करोड़ रुपये प्रचार अनुभाग को दिए गए थे, जिसे खर्च करने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी और प्रचार अधिकारी दीपिका सिंह को सौंपी गई थी। लेकिन आरोप है कि दीपिका सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस राशि का बड़ा हिस्सा मनचाही संस्थाओं को स्पॉन्सरशिप के नाम पर बांटा और लगभग 40 करोड़ रुपये नगद या स्वर्ण के रूप में खुद ले लिए। इतना ही नहीं, इस पूरे खेल में उन्होंने महानिदेशक पर्यटन और मंत्री जी का नाम भी घसीटा जिससे पूरे विभाग की छवि धूमिल हुई है।
तीन वर्षों से प्रचार का जिम्मा संभाल रहीं दीपिका सिंह पर आरोप है कि उन्होंने प्रचार मद के 100 करोड़ रुपये में से 40 करोड़ का काम आउटसोर्सिंग कर्मचारी रंजीत कौशल के पिता ओमप्रकाश की फर्म ‘रजत इंटरप्राइजेज’ और तीन अन्य फर्मों को दे दिया। बदले में रंजीत कौशल और दीपिका सिंह ने कथित रूप से 10-10 करोड़ रुपये का काला धन अर्जित किया। सूत्रों का दावा है कि टेंडर की प्रक्रिया खुद रंजीत कौशल से बनवाकर अपनी ही पसंदीदा फर्म को दिलवाए गए, जो कि एक गंभीर संगठित अपराध की श्रेणी में आता है।
इतना ही नहीं, महाकुंभ के लिए तैयार की गई “कुंभ किट्स” में भी घोटाले की बू आ रही है। बताया जा रहा है कि जो किट जनप्रतिनिधियों के माध्यम से दी गईं, वे अच्छी क्वालिटी की थीं, लेकिन कुंभ स्थल पर भेजी गई अधिकांश किट घटिया क्वालिटी की थीं। और हैरानी की बात ये कि किट्स का कोई सही स्टॉक रिकॉर्ड नहीं रखा गया। वितरण के लिए ई-ऑफिस प्रक्रिया को दरकिनार कर सिर्फ मेमो नंबरों के सहारे भेजी गई किट्स की सप्लाई ‘न्यू स्मार्ट कूरियर’ से कराई गई, जबकि विभाग के पास डीटीडीसी जैसी विश्वसनीय कूरियर सेवाएं उपलब्ध थीं।
आपको बताते चलें की की दीपिका सिंह को क्या क्या महत्वा पूर्ण ज़िम्मेदारियाँ मिली हैं :
1. विज्ञापन एवं प्रदर्शनी सम्बन्धी समस्त कार्य ।
2. पब्लिक रिलेशन एवं प्रेस विज्ञप्ति से सम्बन्धित समस्त कार्य।
3. सोशल मीडिया टीम, मर्चेंडाइज, सोविनियर सम्बन्धित समस्त कार्य।
4. विभागीय वेबसाइट के नवीनीकरण/अपग्रेडशन एवं मोबाइल एप से सम्बन्धित कार्य।
सूत्रों के अनुसार, वास्तव में सिर्फ 1000 किट तैयार की गईं लेकिन पेमेंट 1 लाख किट्स का हुआ। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि दीपिका सिंह के दबाव में प्रचार का पूरा बजट तो खर्च हो गया लेकिन जनहित की योजनाओं के लिए निर्धारित लगभग 40 करोड़ रुपये लैप्स हो गए। दीपिका सिंह के खिलाफ यह भी आरोप है कि उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारी रंजीत कौशल के साथ मिलकर लगभग 10 करोड़ रुपये का काला धन कमाया और इस पूरे घोटाले में अन्य प्रचारकर्मी भी शामिल हैं। जनता और ईमानदार अधिकारियों की ओर से मांग की जा रही है कि इस बड़े स्तर के भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए, ताकि महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन की गरिमा को ठेस न पहुंचे और विभाग में ईमानदारी की पुनर्स्थापना हो। यह मामला अगर गहराई से जांचा जाए तो यह प्रदेश के सबसे बड़े प्रचार घोटालों में से एक साबित हो सकता है।
