मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति को ठेंगा दिखा रहे हैं!!!!

लखनऊ : कुछ लोग इतिहास रचते हैं… और कुछ खुद ही इतिहास बन जाते हैं। वक्त बदलता है, ज़माना आगे बढ़ता है, लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं जिनके किस्से हर दौर में दोहराए जाते हैं। कभी नाम से… तो कभी उनके हैरान कर देने वाले कारनामों से। ऐसा ही एक नाम है….मिथलेश कुमार श्रीवास्तव, जिसे दुनिया नटवरलाल के नाम से जानती है। ठगी की दुनिया का ऐसा बादशाह, जिसकी चालों के सामने बड़े-बड़े अफसर भी चकरा जाएं। सोचिए… एक आदमी, राष्ट्रपति भवन को बेच देता है, वो भी राष्ट्रपति के नकली दस्तखत करके। लाल किला दो बार, ताजमहल तीन बार, और तो और, संसद भवन तक बेच डाला—जब उसमें देश के सारे सांसद मौजूद थे! आज भी लोग उसकी बातें करते हैं—कभी हंसी में, कभी हैरानी में। उसके नाम पर कहावतें बनीं, किस्से गढ़े गए। आज के दौर में भी एक ऐसा ही नटवरलाल बना बैठा है पर्यटन विभाग में, जिसका नाम है कल्याण सिंह यादव। जी हां, ये वही भ्रष्टाचारी नटवरलाल है जिसने पूरे पर्यटन विभाग को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया है। 7 साल से ज्यादा होने के बाद भी न तो इसका ट्रांसफर होता है न इसके भ्रष्टाचारों पर कोई एक्शन लिया जाता है। इसके नाम ऐसे भ्रष्टाचार नामित है जिनके बारे में अगर चर्चा की जाए तो भ्रष्टाचारों की लिस्ट खत्म ही नहीं होगी। साथ ही ये अधिकारियों का भी चहीता है जिसके चलते 2022 से अब तक जांच चलते हुए भी ये इसे कई विभाग दिए गए। इतना ही नहीं इस महा भ्रष्टाचारी के अलावा भी कई नाम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति क्या सिर्फ काग़ज़ों तक सीमित रह गई है? क्योंकि हकीकत में पर्यटन विभाग के अफसर इस नीति को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। जहाँ एक ओर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो समझौता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर, उसी सरकार के एक विभाग में ऐसे अधिकारी ऊंचे पदों पर विराजमान हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांचें अभी तक पूरी भी नहीं हुईं और कुछ तो निलंबन और डिमोशन के बाद भी प्रमोशन पा गए हैं! इन अफसरों की सूची लंबी है और नाम और भी चौंकाने वाले हैं।
-अंजू चौधरी / क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी
– राजेंद्र कुमार रावत / उप निदेशक पर्यटन
– राजेंद्र प्रसाद / उप निदेशक पर्यटन
– अनुपम श्रीवास्तव / क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी
– मनीष श्रीवास्तव / अपर सांख्यिकीय अधिकारी
– कीर्तिमान श्रीवास्तव / पर्यटन अधिकारी
– मनीषा चौधरी / सहायक पर्यटन अधिकारी
– मनीष श्रीवास्तव / पर्यटन सूचना अधिकारी
– मोहम्मद मक़बूल / पर्यटन सूचना अधिकारी
– रीना श्रीवास्तव
– अनिल सक्सेना / पर्यटन सूचना अधिकारी
– लोकेन्द्र कुमार / ड्राइवर ग्रेड 4
1 – अंजू चौधरी क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी :
अंजू चौधरी पर 25 जुलाई 2022 से भ्रष्टाचार की जांच चल रही है। यह मामला अभी भी पूरी तरह से निपटा नहीं है, लेकिन फिर भी, जांच को लिफाफे में बंद करके प्रमोशन का तोहफा दे दिया गया। अब सवाल ये है की ये किस मंत्री की इतनी चहीती है की जांच चलते हुए भी इनकी नियुक्तियां की गयी। 30 जून 2023 को क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय मेरठ से क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय सिद्धार्थनगर के साथ साथ पर्यटन निदेशालय लखनऊ में 10 फरवरी 2024 से संबद्ध है। और फिर आया वो दिन 27 मार्च 2024 जब उन्हें पर्यटन विभाग के अत्यंत महत्वपूर्ण पटलों की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
2 – कल्याण सिंह यादव –
ये नटवरलाल है, जो समाजवादी पार्टी सरकार में KS यादव के नाम से चर्चित है। और भाजपा सरकार में यह कल्याण सिंह बन जाता हैं। ये विभाग के सभी पटलों की कमीशन खोरी को मंत्री और विभाग की प्रमुख सचिव के पास पहुंचाते रहते हैं। सिर्फ इसलिए महकमा उनके ऊपर मेहरबान है। 7 साल से ज्यादा होने को है फिर भी कल्याण सिंह यादव अपने इस पद पर विराजमान है। 2018 में चित्रकूट से पर्यटन मुख्यालय लखनऊ स्थानांतरण कर दिया गया तब से आज तक मुख्यालय पर कई महत्वपूर्ण पद लेकर बैठे हैं। इसमें नजारत, प्रोटोकॉल, जन सूचना, न्यायालयपरिवाद विधिक आदि पदों पर है। पुनः दिनांक 12 जुलाई 2022 को क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय लखनऊ पद का आवंटन किया गया। विशिष्ट अतिथी एवं अति विशिष्ट अतिथियों को रिसीव करना / वर्ज तीर्थ विकास परिषद / विदया धाम परिषद / श्री चित्रकूट धाम विकास परिषद / NGT/ परिषदों के गठन से संबंधित कार्य, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय लखनऊ से संबंधित समस्त कार्य, MKITM से संबंधित कार्य। पुनः 27 मार्च 2024 को पर्यटन निदेशालय के अन्य और महत्वपूर्ण पद पुनः दे दिए गए। इसमें नजारत संबंधित समस्त कार्य अतिथि सत्कार / प्रोटोकॉल / फैम टूर, जन सूचना संबंधित समस्त कार्य, कोर्ट केस न्यायालय जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दे दी गई। क्या इस विभाग में महत्वपूर्ण पदों के लिए कोई अन्य सक्षम अधिकारी नहीं है। या फिर इन पर किसी की मेहरबानी है जो 7 साल से ज़्यादा होने पर भी इस पद पर विराजमान है? अब देखना यह होगा कि कल्याण सिंह की खबर चलने के बाद और जीरो टॉलरेंस नीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या कार्यवाही करते हैं।
4 – राजेंद्र कुमार रावत उपनिदेशक पर्यटन-
नियम कहता है कि अगर किसी अधिकारी पर जांच लंबित हो, तो उसे प्रमोशन नहीं मिल सकता। लेकिन जब बात सिस्टम की खास कृपा पर हो, तो नियम अक्सर किताबों में ही बंद रह जाते हैं! राजेंद्र कुमार रावत, जो कि वर्तमान में उपनिदेशक पर्यटन के पद पर कार्यरत हैं, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच अभी भी लंबित है। फिर भी, DPC (Departmental Promotion Committee) में इनका प्रमोशन कर दिया गया! वो भी बिना जांच का नतीजा सामने आए! और जांच लिफाफा बंद कर दिया गया। जबकि नियम कहता है कि जिस अधिकारीयों कर्मचारियों के खिलाफ जांच लंबित है जब तक निर्णय न आए प्रमोशन नहीं किया जा सकता।
5 – अनुपम श्रीवास्तव –
इनके खिलाफ जांच चल रही थी जिसमें दिनांक 11 मई 2022 को निलंबित करते हुए इनका डिमोशन कर दिया गया था। जांच चल रही ही रही थी इसके बावजूद इन्हें बहाल करते हुए चित्रकूट क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी की तैनाती दे दी गई। अब बड़ा सवाल यही है आखिर किसकी मेहरबानी से अनुपम श्रीवास्तव की तैनाती की गई? कागज़ों में भले ही सब कुछ नियमों के दायरे में दर्शाया गया हो, लेकिन अंदरखाने में इस तैनाती को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जो अब जवाब मांगते हैं।
तो सवाल अब सिर्फ इन अधिकारियों पर नहीं है, सवाल उस व्यवस्था पर है। जो जांच पूरी होने से पहले ही दोषियों को इनाम देती है। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति इन फाइलों तक पहुंचेगी, या सिर्फ भाषणों में गूंजती रहेगी? क्या इन अधिकारियों की नियुक्ति और प्रमोशन सिर्फ संयोग हैं या किसी सियासी संरक्षण की ताकत? सरकार अगर सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो जवाब ज़रूरी है। नियमों का पालन तभी होगा, जब जिम्मेदारी तय होगी। वरना सिस्टम के भीतर की यह ‘चुपचाप चलने वाली सिफारिशों की रेल’ ईमानदार अफसरों की मेहनत को कुचलती रहेगी।
