भारत के 7 स्वर्णमंदिर: अयोध्या से वेल्लोर तक, सोने से सजे ये भव्य धाम

Ram Mandir Pran Pratishtha : राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे चरण से पहले अयोध्या में सोने से चमक उठा मंदिर, जानिए देश के अन्य वो 6 मंदिर जहां सोना बना है श्रद्धा की पहचान।
अयोध्या का राम मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। 5 जून 2025 को होने वाले दूसरे प्राण प्रतिष्ठा उत्सव से पहले मंदिर के शिखर पर सोने की परत चढ़ाई गई है। इस चमचमाता स्वर्ण शिखर दूर से ही भव्यता और श्रद्धा की एक नई मिसाल पेश कर रहा है।
इस खास मौके पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 1 जून को स्वर्ण शिखर की आधिकारिक तस्वीरें जारी कीं। लेकिन अयोध्या अकेला ऐसा स्थान नहीं है जहाँ भगवान के धाम को सोने से सजाया गया है। देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां श्रद्धालुओं की आस्था को सोने की परतों में ढालकर अनोखा स्वरूप दिया गया है।
आइए जानिए भारत के 6 अन्य प्रमुख स्वर्ण मंदिरों के बारे में:
1. श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर, वेल्लोर (तमिलनाडु)
यह लक्ष्मी नारायण मंदिर लगभग 1500 किलोग्राम सोने की परत से ढका हुआ है।
तांबे की प्लेटों पर सोने की पन्नी लगाई गई है।
यह मंदिर दुनिया के सबसे भव्य स्वर्ण मंदिरों में गिना जाता है।
2. कालीघाट मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
2024 में कालीघाट मंदिर के तीन शिखरों पर सोने का काम पूरा हुआ।
बीच के शिखर पर सोने का झंडा लगा है।
50 किलोग्राम 24 कैरेट सोना इस निर्माण में उपयोग हुआ है।
3. कमाख्या मंदिर, असम
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 2020 में 19 किलोग्राम सोना दान किया।
यह सोना मंदिर के मुख्य गुंबद पर चढ़ाया गया।
4. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
1777 में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का निर्माण कराया।
महाराजा रणजीत सिंह ने 1 टन सोना दान किया था।
2021 में एक भक्त द्वारा दान किए गए 60 किलोग्राम सोने से गर्भगृह और गुंबद को सजाया गया।
5. सोमनाथ मंदिर, गुजरात
इस मंदिर के शिखर, गर्भगृह और द्वारों पर सोने की परत चढ़ी हुई है।
हालांकि इस्तेमाल हुए सोने की आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
6. वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुपति (आंध्र प्रदेश)
मंदिर का आनंद निलय दिव्य विमान (सोने का गुंबद) आकर्षण का केंद्र है।
भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति से लेकर मंदिर के कई हिस्से सोने से मढ़े हुए हैं।
राम मंदिर अयोध्या का स्वर्ण शिखर अब देश की भव्य धार्मिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। यह सिर्फ एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और श्रद्धा की शुद्धता का प्रतीक बन चुका है।
