CDS उपेंद्र द्विवेदी ने ली राम मंत्र की दीक्षा, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मांगा POK

नई दिल्ली: भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया और उनसे राम मंत्र की दीक्षा प्राप्त की। यह भेंट केवल आध्यात्मिक चर्चा तक सीमित नहीं रही. जगद्गुरु ने उन्हें राम मंत्र की दीक्षा देने के साथ दक्षिणा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) की मांग कर डाली।
राम मंत्र और दीक्षा का महत्व
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के अनुसार, यह वही राम मंत्र है जिसे माता सीता ने हनुमान जी को दिया था। उस मंत्र की शक्ति से ही हनुमान जी ने लंका विजय प्राप्त की थी। जगद्गुरु ने कहा, “तुम शस्त्र से लड़ो, मैं शास्त्र से लड़ूंगा।”
यह कथन उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक लड़ाई की प्रतीकात्मक व्याख्या करता है।
क्या होता है दीक्षा का प्रोसेस?
दीक्षा एक पवित्र आध्यात्मिक प्रक्रिया होती है, जिसमें गुरु अपने शिष्य को एक विशेष मंत्र, ज्ञान या आध्यात्मिक मार्गदर्शन देता है। यह प्रक्रिया गुरु-शिष्य संबंध की नींव होती है और कई धर्मों में इसे आध्यात्मिक पुनर्जन्म की संज्ञा दी जाती है।
दीक्षा के दौरान:
गुरु मंत्र प्रदान करता है
शिष्य मानसिक रूप से तैयार होता है
मंत्र को साधना के रूप में ग्रहण किया जाता है
सेना प्रमुख द्वारा दीक्षा लेना उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिक आस्था का विषय है और यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वैच्छिक एवं निजी होती है।
कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य?
जन्म: 14 जनवरी 1950, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
दृष्टिहीन होते हुए भी 22 भाषाओं के ज्ञाता
अब तक 80 से अधिक ग्रंथों की रचना
कवि, लेखक, दार्शनिक, संस्कृत विद्वान, कथावाचक
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के संस्थापक
उनकी रचनाएं धर्म, साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अत्यंत प्रतिष्ठित हैं
राजनीतिक संकेत या आध्यात्मिक संवाद?
जहाँ एक ओर यह मुलाकात आध्यात्मिक चर्चा के रूप में देखी जा रही है, वहीं “POK को दक्षिणा में मांगना” एक प्रतीकात्मक देशभक्ति का संदेश भी हो सकता है, जो वर्तमान सैन्य और राजनीतिक परिदृश्य से भी जुड़ता है।
