ईरान भारत से सीखेगा चीता संरक्षण अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई पहल

ईरान – ईरान में एशियाई चीतों की आबादी तेजी से घट रही है, जिससे वहां के वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। इस संकट से निपटने के लिए अब ईरान भारत से चीता संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहता है। हाल ही में एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) के माध्यम से यह जानकारी सामने आई है कि ईरानी अधिकारियों ने भारत की चीता संरक्षण रणनीतियों में गहरी रुचि दिखाई है।
भारत की चीता परियोजना समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल के अनुसार, ईरान ने इस मुद्दे पर भारत के साथ शुरुआती बातचीत की है। उन्होंने बताया कि भारत की पहल पर बने इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस के माध्यम से भारत अन्य देशों को भी वन्यजीव, विशेष रूप से बड़ी बिल्लियों, के संरक्षण में सहायता प्रदान कर सकता है।
हालांकि, ईरान की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन भारत इस दिशा में सकारात्मक रवैया रखते हुए मदद के लिए तैयार है। यह सहयोग दोनों देशों के लिए संरक्षण के क्षेत्र में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि भारत में चीते 1948 में विलुप्त हो गए थे। इसका मुख्य कारण अत्यधिक शिकार और प्राकृतिक आवास का विनाश था। लेकिन अब भारत ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर उन्हें मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में बसाने का प्रयास कर रहा है। इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
अगर यह भारत-ईरान सहयोग आगे बढ़ता है, तो यह वन्यजीव संरक्षण में वैश्विक साझेदारी का बेहतरीन उदाहरण बन सकता है और अन्य देशों को भी अपने लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रेरित कर सकता है।
