देश में पहली बार जातिगत जनगणना होगी!

“क्या आप जानते हैं? भारत में पहली बार जातिगत गणना 94 साल बाद होने जा रही है। देश या किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की गणना और उनके बारे में विधिवत रूप से सूचना प्राप्त करना जनगणना कहलाती है. भारत में हर 10 साल में एक बार जनगणना की जाती है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया है कि अगली जनगणना में जाति आधारित गिनती भी कराई जाएगी।”पिछली बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी, उसके बाद से यह रुकी हुई थी। अब, यह पहली बार है जब देश में जाति के आधार पर पूरी गणना होगी।””कुछ राज्यों में पहले ही जातीय सर्वे हो चुका है। अब, राष्ट्रीय स्तर पर यह पहली बार होगा। इससे हमें समाज की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का पता चलेगा।””1853 में पहली जनगणना हुई, और 1872 में जाति आधारित गणना पर विचार शुरू हुआ था। अब, यह लंबी प्रतीक्षा खत्म होने जा रही है।”क्या आप जानते हैं? केंद्र की मोदी सरकार पहले जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं थी। साल 2011 में, यूपीए सरकार ने जाति सर्वे कराया, लेकिन केंद्र में बदलाव के कारण आंकड़े दब गए।””साल 2014 में मोदी सरकार ने कहा कि SECC का काम पूरा होने में 3 महीने लगेंगे। फिर, 2018 में बताया गया कि डेटा में गलतियां मिली हैं।””2021 में, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बाकी जातियों का गणना करना बहुत मुश्किल है। गृह मंत्री ने भी कहा कि फिलहाल, सिर्फ एससी, एसटी की ही गणना संभव है।”बेशक, बीजेपी जातिगत गणना का विरोध करती रही है, इसे देश को बांटने का प्रयास कहा। लेकिन, राजनीतिक दबाव और माहौल बदलने लगे।”
अब, सरकार तैयार हो रही है। क्या ये फैसला देश में नई राजनीतिक हवा लाएगा?
