बस्ती की पीड़िता को SDM ने जातिसूचक शब्द कहकर बाहर निकाला, जान से मारने की धमकी तक दी!

बस्ती (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक दलित महिला को न्याय मांगना इतना भारी पड़ गया कि उसे सरकारी अफसर की जातिवादी गालियाँ, धक्के और धमकियाँ सहनी पड़ीं। पीड़िता पार्थिनी, ग्राम सकतपुर, थाना सोनहा, तहसील भानपुर की निवासी है। उसने अपने गाँव के गाटा संख्या 524 को लेकर चल रहे विवाद में तहसीलदार द्वारा 115 सी की कार्रवाई होने के बावजूद लेखपाल द्वारा नोटिस न देने की शिकायत लेकर 6 मार्च 2025 को दोपहर करीब 12:15 बजे एसडीएम भानपुर आशुतोष तिवारी से मिलने की कोशिश की। पीड़िता का आरोप है कि जैसे ही वह तहसीलदार को ज्ञापन देने जा रही थी, उसी समय तहसीलदार और एसडीएम एक साथ दिखे। जब उसने मौके पर एसडीएम को ज्ञापन देना चाहा, तो उन्होंने बुरी तरह डांटते हुए कहा – “बदतमीज, तुम जैसे छोटे जाति के लोग यानी चमार-सियार तो ऐसे ही होते हो। जहाँ देखो मुँह उठाकर चले आते हो!” इतना कहने के बाद एसडीएम ने उसे हाथ से धक्का दिया और कहा – “भाग जा यहां से, तुम्हारा कुछ नहीं होगा।” पीड़िता का कहना है कि बाद में उसे धमकी भी दी गई कि अगर उसने शिकायत वापस नहीं ली, तो उसकी जमीन किसी और के नाम करवा दी जाएगी और उसे बर्बाद कर दिया जाएगा। पीड़िता डरी-सहमी हुई है और साफ कह रही है कि यदि उसके साथ कुछ भी गलत होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी एसडीएम आशुतोष तिवारी की होगी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़िता ने जिलाधिकारी बस्ती, पुलिस अधीक्षक बस्ती, महिला आयोग लखनऊ, एसटी-एससी आयोग लखनऊ और यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत पहुंचाई। बता दें की कई दिनों के इंतज़ार और न्याय की गुहार के बाद अब आशुतोष तिवारी SDM भानपुर बस्ती का स्थानांतरण संभल कर दिया गया है। बता दे इनके ऊपर एक दलित महिला ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए जिला के आला अधिकारियों समेत, मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश,महिला आयोग उत्तर प्रदेश,ST,SC आयोग उत्तर प्रदेश तथा नियुक्ति विभाग उत्तर प्रदेश शासन से शिकायत दर्ज कराई थी जिसको भारत की बात ने इस ख़बर को गंभीरता से दिखाया था, जिसके बाद शासन ने मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए इनका स्थानांतरण गैर जनपद में कर दिया है, अब देखना है आगे शासन जांच के बाद क्या कार्रवाई करता है। एक सवाल ये है कि क्या उत्तर प्रदेश में एक दलित महिला को न्याय मांगने का भी हक नहीं? क्या एसडीएम जैसे अफसर खुलेआम संविधान की धज्जियाँ उड़ाते रहेंगे?
