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वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस: कांग्रेस और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक

 वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस: कांग्रेस और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक
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नई दिल्ली : बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर आठ घंटे लंबी बहस शुरू हुई, जिसमें मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रशासन में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। बहस के दौरान इस विधेयक पर बहस, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का दाम देखने को मिला।

सरकार का पक्ष

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने वक्फ कानूनों में संदिग्ध परिवर्तन किए थे। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने 123 प्रमुख इमारतों को गैर-अधिसूचित करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। उनका आरोप था कि यदि यूपीए को रोका नहीं जाता था तो संसद को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता था।

कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने रिजिजू के आरोपों का खंडन करते हुए इसे जाली और झूठा कहा। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक संविधान पर हमला कर रहा है और यह विधेयक अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ है। गोगोई ने यह सवाल भी उठाया कि क्योंकि इस विधेयक का प्रस्ताव एक साल पहले संसदीय समिति की बैठकों में नहीं किया गया।

विधेयक में प्रस्तावित बदलाव

रिजिजू ने दावा किया है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की प्रबंधन में बेहतरी के लिए है, और इसमें धर्मभावनाओं का कोई प्रसंग नहीं है। उन्होंने सूचित किया है कि सरकार ने एक कड़ा प्रावधान हटाकर वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित किया है, जिसके कारण संपत्तियों की संख्या लाखों में बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि मस्जिदों के प्रबंधन में कुछ भी बदला नहीं जाएगा।

महिला और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व

रिजिजू ने वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधित्व की कमी के सवाल उठाया और कहा कि सरकार ने कम से कम दो महिला सदस्यों को अनिवार्य करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा, प्रत्येक राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव भी किया गया है।

विपक्ष की आपत्ति

गोगोई ने यह कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक में कुछ समस्याजनक धाराएं हैं, जैसे कि दान मात्रा ही कुछ ऐसा है जो कम से कम पांच साल से वकालत कर रहे हों मुसलमानों से लिया जा सकेगा। उन्होंने इसे धार्मिक प्रमाण पत्र देने जैसा कदम कहा और सवाल किया कि क्या सरकार अन्य धर्मों से भी ऐसे प्रमाण पत्र मांगेगी।

विधेयक की समयरेखा

यह विधेयक पिछले वर्ष अगस्त में विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। इसके तुरंत बाद, इसको संसदीय समिति के पास भेज दिया गया, जहाँ फरवरी में बदलाव किए गए। अपने सुझावों पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया।

वक्फ संशोधन विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद जारी है। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक संविधान के अलावा अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ है, तो सरकार का कहना है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में ही सुधार करने का एक प्रयास है। अब देखना यह है कि आगे संसद में क्या निर्णय लिया जाएगा।

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