5000 की रिश्वत न मिलने पर, नाबालिग की पुलिस हिरासत में मौत

उत्तर प्रदेश में पुलिस की बर्बरता का एक और मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में आक्रोश फैला दिया है। आदर्श उपाध्याय नाम के युवक की संदिग्ध मौत के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है, वहीँ परिजनों ने पुलिस पर थाने में बेरहमी से पीटने का आरोप लगाया। दरअसल, 24 मार्च को आदर्श उपाध्याय अपने गांव में गाय चरा रहा था। इसी दौरान उसकी अशोक गुप्ता नाम के व्यक्ति से कहासुनी हो गई, जिसके बाद अशोक ने 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस बुला ली।
पुलिस मौके पर पहुंची और आदर्श को थाने ले गई। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे छोड़ने के बदले 5,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी, और धमकी दी थी की अगर रिश्वत नहीं दी तो आदर्श को कहीं भेज दिया जाएगा। लेकिन जब पैसे नहीं मिले, तो आदर्श को पूरी रात थाने में रखा गया और दरिंदगी से पीटा। अगले दिन यानी 25 मार्च की शाम को उसे छोड़ा गया, लेकिन घर पहुंचते ही उसकी हालत बिगड़ गई। उसने खून की उल्टियां करनी शुरू कर दी।
घबराए परिजन उसे अस्पताल लेकर गए, जहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ही आदर्श ने दम तोड़ दिया। इसके बाद गुस्साए परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सीओ सत्येंद्र भूषण तिवारी का कहना है कि इस मामले के चलते दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है और मामले की जांच जारी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
ये कोई पहली घटना नहीं है। पुलिस कस्टडी में पिटाई से होने वाली मौतों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। रिश्वत, मारपीट और मनमानी कार्रवाई से कानून के रक्षक ही गुनहगार बनते जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या आदर्श को न्याय मिलेगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?बढ़ते हंगामे के बाद दो पुलिसकर्मियों, शिवम सिंह और अजय गौतम, को सस्पेंड कर दिया गया है। ये पूरी घटना दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई गांव की है।
