सुप्रीम कोर्ट का यूपी सरकार पर कड़ा रुख, बुलडोजर कार्रवाई को बताया चौंकाने वाला

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में मनमाने तरीके से मकान गिराने पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि यह देखकर उनकी अंतरात्मा हिल गई कि कैसे बिना पूरी कानूनी प्रक्रिया के लोगों के घर उजाड़ दिए गए। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा, “जिस तरह से मकान गिराए गए, वह चौंकाने वाला है।
पीड़ितों को अपील करने का मौका भी नहीं दिया गया। अगर हम इस तरह की कार्रवाई को एक बार बर्दाश्त कर लेंगे, तो यह आगे भी जारी रहेगा!” अदालत ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता समय पर अपील दायर करते हैं, तो उन्हें अपने घर फिर से बनाने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन अगर उनकी अपील खारिज होती है, तो उन्हें अपने खर्चे पर घर तोड़ना होगा। राज्य सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने दलील दी कि अवैध कब्जे हटाने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया और यह कोई जानबूझकर उठाया गया कदम नहीं था।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने यह सोचकर कुछ मकान गिरा दिए कि वे गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से जुड़े हैं। लेकिन हकीकत यह थी कि जिनके घर टूटे, वे आम लोग थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इनमें दो विधवा महिलाएं भी शामिल हैं, जिनके घर ढहा दिए गए थे। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही इस याचिका को खारिज कर चुका था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीरता दिखाई है। अब सवाल यह उठता है – क्या सरकार की बुलडोजर नीति सही है या आम जनता के साथ अन्याय हो रहा है?
