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कुणाल कामरा विवाद पर सियासी घमासान, विपक्ष ने किया समर्थन

 कुणाल कामरा विवाद पर सियासी घमासान, विपक्ष ने किया समर्थन
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महाराष्ट्र से सामने आरही है जहाँ अभी नागपुर हिंसा मामला ठन्डाया भी नहीं है वहीँ अब राजनीति में एक और मामले ने आग पकड़ ली है। स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के हालिया शो में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर की गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी के बाद विवाद गहराता जा रहा है।
दरअसल, कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक स्टैंड-अप शो में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कथित रूप से ग़द्दार कहा है। जिसके चलते शिवसेना ने कड़ा विरोध जताते हुए प्रदर्शन और तोड़फोड़ की, जबकि विपक्षी दलों शिवसेना, कांग्रेस और सपा ने कामरा के समर्थन में मोर्चा खोल दिया है।

राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने शिवसेना शिंदे गुट के विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा,
…बोलने की आज़ादी कहां है? कार्रवाई की आज़ादी तभी है जब हंगामा हो…” उन्होंने शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,”आप अपनी असली पार्टी छोड़कर सत्ता के लिए दूसरी पार्टी में चले गए। क्या यह बालासाहेब ठाकरे का अपमान नहीं है?”

कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदहाल हो चुकी है।
“लोग डर के मारे महाराष्ट्र छोड़ रहे हैं, उद्योग राज्य से बाहर जा रहे हैं, और सरकार खुद अराजकता फैला रही है।”
वहीँ उद्धव ठाकरे बोले “गद्दार को गद्दार कहना गलत नहीं”
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कामरा का बचाव किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
“मुझे नहीं लगता कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा है। जो गद्दार है, वो गद्दार है।”

सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि,
“कुणाल कामरा ने जो भी कहा, वह पूरी तरह सही है। अगर हम इस देश में लोकतंत्र की बात करते हैं, तो हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने भी विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए कहा, “वे एक ऐसे मज़ाक पर धमकी दे रहे हैं जिसमें एकनाथ शिंदे का नाम तक नहीं लिया गया. उनकी तोड़फोड़ से पता चलता है कि इससे उन्हें ठेस पहुँची है और जो वे मज़ाक के ज़रिए कह रहे हैं, उसमें सच्चाई है. इसीलिए उन्होंने इस तरह का हमला किया है… उन्होंने नागपुर में इस तरह की आग लगाई।

शिवसेना (शिंदे गुट) ने कामरा के शो को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिससे विवाद बढ़ता जा रहा है। वहीं, विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हनन बताते हुए सरकार पर हमलावर हो गया है। क्या कुणाल कामरा की टिप्पणी सिर्फ एक व्यंग्य थी या यह एक बड़े राजनीतिक विवाद की वजह बनेगी? यह देखना अभी बाकी है।

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