दुबई से आते थे मौलाना, तहखानों में चलती थी ट्रेनिंग! क्या थे छांगुर बाबा के नापाक मंसूबे?

बलरामपुर। जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा… जिसकी कोशिश थी धर्मांतरण के जरिए उत्तर प्रदेश के जिलों की डेमोग्राफी बदलना। हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत फैलाकर एक इस्लामिक देश की बुनियाद रखना।
अपने इन नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए उसने उन परिवारों को चुना, जो गरीब हैं, मजबूर हैं और मेहनत-मजदूरी कर बमुश्किल अपना गुजारा करते थे। उसने किसी को अपनी अंगूठियों के जाल में फंसाया, किसी को पैसों का लालच दिया, तो किसी को डरा-धमकाकर अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया।
दुबई से आते थे मौलाना
छांगुर बाबा की पोल खुली तो उसकी खतरनाक साजिशों की परतें भी खुलने लगीं। एटीएस की पूछताछ में पता चला कि धर्म-परिवर्तन के लिए वो अपने नुमाइंदों को तैयार करने के मकसद से दुबई से मौलानाओं की टीम बुलाता था।
ऐसा इसलिए, ताकि इन नुमाइंदों के ऊपर वो अपनी पहुंच और पैसे का दबदबा बन सके और फिर यही नुमाइंदे पूरी तरह से उसके धर्मांतरण के मिशन में जुट जाएं। इतना ही नहीं, अपने नापाक मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसने अपनी कोठियों के बेसमेंट में खास तरह के कमरे भी बनवाए।
इन कमरों में दुबई से आए मौलानाओं के जरिए पहले उसके नुमाइंदों को ट्रेनिंग दी जाती थी और इसके बाद ये लोग चुन-चुनकर गरीब परिवारों की तलाश कर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करते थे। गरीब परिवार की महिलाएं खासतौर पर इनके निशाने पर होती थीं।
50 नुमाइंदों की खास टीम
छांगुर बाबा के पास लगभग 50 नुमाइंदों की अपनी एक टीम थी, जो डायरेक्ट उसके ऑर्डर पर काम करते थे। इनके खान-पान व रहने तक के सारे इंतजाम उसकी कोठियों में मौजूद थे।
एटीएस को इस बात के भी सबूत मिले हैं कि धर्म परिवर्तन के लिए छांगुर बाबा के पास मुस्लिम देशों से पैसा आ रहा था। छांगुर बाबा के खासमखास माने जा रहे नवीन के नाम से एक स्विस अकाउंट का भी अधिकारियों को पता चला है।
अंगूठी बेचते-बेचते बन गया करोड़पति
छांगुर बाबा की हिस्ट्री भी काफी हैरान करने वाली है। एक मामूली से परिवार में पैदा हुआ जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बचपन में गलियों में घूमकर ताबीज और अंगूठियां बेचने का काम करता था। बाद में उसने अपनी बीवी को प्रधानी का चुनाव लड़वाया और देखते ही देखते उसके दिन बदलने लगे। एटीएस को अब उसकी 100 करोड़ रुपये से भी प्रॉपर्टी के बारे में पता चला है।
