HC की रोक के बावजूद महिला का मकान ध्वस्त, अधिकारियों को 7 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने के निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अंतरिम रोक के बावजूद एक महिला का मकान गिरा देने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस कृत्य को न्यायपालिका की अवहेलना करार देते हुए संबंधित अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है।
मामले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 15 मई 2025 को अंतरिम आदेश के तहत भवन गिराने पर रोक लगाई गई थी, इसके बावजूद 16 मई को बागपत के एसडीएम और तहसीलदार की अगुवाई में मकान ध्वस्त कर दिया गया।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने इस घटना पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “अधिकारियों को न्यायिक निर्देशों के उल्लंघन में जैसे उपलब्धि की भावना महसूस होती है।” कोर्ट ने इसे न्यायपालिका के प्रति गंभीर अनादर बताया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागपत के जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी और तहसीलदार से जवाब तलब करते हुए निर्देश दिया कि वे 7 जुलाई 2025 तक अपना पक्ष कोर्ट में रखें। साथ ही, कोर्ट ने सवाल उठाया कि सरकारी खर्च पर इमारत को फिर से क्यों न बनवाया जाए, क्योंकि यह घटना एक न्यायिक आदेश की अवहेलना है।
यह मामला अब न सिर्फ प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि न्यायिक आदेशों की अहमियत और सम्मान को लेकर भी एक बड़ी बहस का विषय बन गया है।
