‘पत्नी कमाती है, गुजारा भत्ता नहीं दूंगा’, बॉम्बे HC पहुंचा शख्स; जानिए अदालत ने क्या कहा

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाक के मेंटेनेंस से जुड़े एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला नौकरी कर रही है, तो ये इस बात का आधार नहीं हो सकता कि उसे तलाक के बाद पति की तरफ से मिलने वाले गुजारे भत्ते से वंचित कर दिया जाए।
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस मंजूषा देशपांडे की पीठ ने 18 जून को ये फैसला सुनाया। दरअसल एक व्यक्ति ने पारिवारिक न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पत्नी को हर महीने 15 हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।
पत्नी की कमाई को बनाया आधार
व्यक्ति ने अपनी पत्नी से तलाक ले लिया था, जिसके बाद उसे 15,000 रुपये मेंटेनेंस के तौर पर देने का आदेश दिया गया था लेकिन उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में दलील दी कि उसकी पत्नी एक कामकाजी महिला है और वह 25 हजार रुपये हर महीने कमाती है। इसलिए उसे गुजारे भत्ते की जरूरत नहीं है।
व्यक्ति ने कहा कि उसकी सैलरी 1 लाख रुपये महीना है और यह रकम इतनी नहीं है कि वह हर महीने अपनी पत्नी को 15 हजार रुपये दे सके। याचिकाकर्ता ने ये भी दलील दी थी कि उसके ऊपर अपने बीमार माता-पिता की जिम्मेदारी है। लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी ये दलीलें काम नहीं आईं।
हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
पीठ ने कहा कि महिला भले ही कमा रही हो, लेकिन यह उसके भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है। महिला हर रोज अपनी नौकरी के लिए लंबी दूरी तय करती है और वह अपने माता-पिता व भाई के साथ रह रही है। इस सैलरी में एक सभ्य जीवन जीना संभव नहीं है।
अदालत ने कहा कि पुरुष अपनी पत्नी के मुकाबले कहीं अधिक कमाता है और उसके पिता को 28 हजार रुपये की पेंशन मिलती है। यह बताता है कि उसके माता-पिता उस पर निर्भर नहीं हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
