ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर बचना चाहता था पत्नी का हत्यारोपी NSG कमांडो, जाने SC ने क्या कहा?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक ब्लैक कैट कमांडो को पत्नी की हत्या के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है। कमांडो ने कोर्ट में दलील दी कि वह ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था। यह भारत का पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों के खिलाफ जवाबी हमला था, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले की सजा देने के लिए किया गया था।
इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि इससे उसे ‘इम्युनिटी नहीं मिल जाती’। सिर्फ इसलिए कि वह एक कमांडो है, उसे पत्नी की हत्या के आरोप से छूट नहीं मिल सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसने अपनी पत्नी को जिस ‘भयानक तरीके’ से गला घोंटा, वह माफी के लायक नहीं है। कमांडो पर IPC की धारा 304बी के तहत दहेज हत्या का आरोप है।
ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर बचना चाहता था
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। कमांडो ने कोर्ट में एक स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की थी। इसमें उसने पुलिस के सामने सरेंडर करने से छूट मांगी थी।
कमांडो ने कहा, ‘मैं ऑपरेशन सिंदूर में शामिल था। मैं एक ब्लैक कैट कमांडो हूं।’ ब्लैक कैट कमांडो, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के कमांडो को कहा जाता है। NSG भारत की एक खास आतंकवाद निरोधक फोर्स है।
‘आरोपी को सरेंडर करने से छूट नहीं दी जा सकती’
जस्टिस उज्जल भुइयां ने कमांडो की बात पर जवाब दिया, ‘इससे आपको इम्युनिटी नहीं मिल जाती। आप शारीरिक रूप से कितने फिट हैं, आपने अकेले ही अपनी पत्नी का गला घोंटा होगा।’
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस तरह से उसने अपनी पत्नी की हत्या की, वह बहुत ही ‘भयानक’ था। इसलिए उसे सरेंडर करने से छूट नहीं दी जा सकती। जस्टिस विनोद चंद्रन ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी कमांडो को राहत देने से इनकार कर दिया था।
दहेज हत्या का आरोपी है ब्लैक कैट कमांडो
कमांडो पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304बी के तहत दहेज हत्या का आरोप है। IPC की धारा 304बी दहेज हत्या से संबंधित है। इसके अनुसार, अगर किसी महिला की शादी के सात साल के भीतर जलने या शारीरिक चोट से असामान्य परिस्थितियों में मौत हो जाती है और यह दिखाया जाता है कि उसकी शादी के तुरंत पहले या बाद में दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया गया था तो यह दहेज हत्या मानी जाएगी।
सरेंडर करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत
कमांडो के वकील ने कहा कि उस पर सिर्फ यह आरोप है कि उसने दहेज में एक मोटरसाइकिल की मांग की थी। वकील ने यह भी कहा कि यह आरोप उसकी मृत पत्नी के दो रिश्तेदारों ने लगाया है। वकील ने कहा कि ये गवाह ‘आपस में विरोधाभासी हैं’।
मतलब, उनके बयानों में कुछ बातें अलग-अलग हैं। लेकिन, कोर्ट ने कमांडो को राहत देने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी कर एसएलपी पर जवाब मांगा है।
अदालत ने कहा, ‘हम सरेंडर करने से छूट देने की अर्जी को नामंजूर करते हैं। छह सप्ताह में SLP पर जवाब दाखिल करें।’ जब कमांडो के वकील ने सरेंडर करने के लिए समय मांगा, तो कोर्ट ने उसे दो सप्ताह का समय दे दिया।
