शेख़ हसीना पर लगे हत्या के आरोप, कोर्ट में सुनवाई शुरू

बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जब देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में पहली बार औपचारिक रूप से आरोप पत्र दाखिल किया गया।
उन पर आरोप है कि उन्होंने जुलाई 2024 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों और अपनी पार्टी अवामी लीग को हिंसा, हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघनों का आदेश दिया। इसके बाद न्यायाधिकरण ने शेख़ हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया है।
इस मामले में तीसरे अभियुक्त, बांग्लादेश पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। तीनों को 16 जून को ट्राइब्यूनल के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है।
यह वही न्यायाधिकरण है जिसे शेख़ हसीना ने खुद वर्ष 1971 के युद्ध अपराधों की जांच के लिए शुरू किया था। अब उसी अदालत में उन्हें जवाब देना होगा। मामले में अभियोजन पक्ष ने 134 पन्नों का विस्तृत आरोप पत्र दायर किया है।
12 मई को पेश की गई जांच रिपोर्ट में दावा किया गया कि शेख़ हसीना ने प्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा बलों और पार्टी कार्यकर्ताओं को हिंसा का आदेश दिया, जिससे व्यापक स्तर पर हत्याएं, महिलाओं और बच्चों पर हमले हुए। हसीना पहले से ही ICT में दो अन्य मामलों का सामना कर रही हैं — जिनमें एक 2013 की रैली में हत्याओं से और दूसरा विपक्षियों के गायब होने से जुड़ा है।
इतिहास में पहली बार इस सुनवाई का सीधा प्रसारण भी किया गया, जिसे देश और दुनिया भर में देखा गया।
बांग्लादेश सरकार ने शेख़ हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया है। मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कहा,
“यह मुकदमा सिर्फ अतीत से हिसाब चुकता नहीं, बल्कि भविष्य में न्याय की गारंटी का वादा भी है।
