जज यशवंत वर्मा पर संसद में महाभियोग लाने की तैयारी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रही है। दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास से जली हुई नकदी मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने उन्हें दोषी माना है। सूत्रों के अनुसार, यदि जस्टिस वर्मा स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देते, तो संसद के आगामी मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। आइये जानते हैं क्या हैं पूरा मामला, जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाईकोर्ट में पदस्थ थे, जब उनके आधिकारिक आवास के आउटहाउस में आग लगी और वहां से भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद की गई। इस घटना के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज और आंतरिक जांच समिति के अध्यक्ष ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। हालांकि, इस समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व CJI संजीव खन्ना ने खुद जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है और खुद को निर्दोष बताया है। उन्होंने कहा कि उनके आउटहाउस में मिली नकदी से उनका कोई संबंध नहीं है।
क्या है महाभियोग की प्रक्रिया आपको बताते हैं ?
महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
राज्यसभा में 50 और लोकसभा में 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
प्रस्ताव पारित होने के बाद जांच समिति गठित होती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज शामिल होते हैं।
समिति की रिपोर्ट पर संसद में दो-तिहाई बहुमत से फैसला लिया जाता है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में सभी दलों से चर्चा के बाद ही प्रस्ताव लाया जाएगा। केंद्र सरकार चाहती है कि यह कार्रवाई सर्वसम्मति से हो, ताकि इसे राजनीतिक रूप से निष्पक्ष माना जा सके। एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, “यह बहुत गंभीर मामला है, सरकार जल्द ही इस पर अंतिम फैसला ले सकती है।”
