43 रोहिंग्या शरणार्थियों को समुद्र में फेंके जाने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को हाथ और आंखें बांधकर समुद्र में फेंक दिया गया है। याचिका में मांग की गई है कि इन शरणार्थियों को वापस लाया जाए और कस्टडी से रिहा किया जाए।
आरोप के अनुसार, इन्हें पहले एयरपोर्ट ले जाया गया, फिर पोर्ट ब्लेयर में नेवी के जहाजों में बिठाया गया, जहां इनके हाथ और आंखें बांध दी गईं। इसके बाद इन्हें समुद्र में फेंक दिया गया, बिना इनकी जिंदगी की परवाह किए। इनमें महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग भी शामिल हैं।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन शरणार्थियों को बायोमीट्रिक डिटेल लेने के बाद भी रिहा नहीं किया गया और जबरन देश से बाहर कर दिया गया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि 8 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकार इन लोगों को कानून के तहत वापस भेजने की कार्रवाई करे।
याचियों का कहना है कि इन शरणार्थियों के पास UNHRC का कार्ड भी था, जिसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर बाहर निकाल दिया गया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई करे। यह मामला मानवाधिकारों और कानून व्यवस्था की गंभीर अनदेखी को उजागर करता है।
