2,000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर GST की खबरें अफवाह, सरकार ने बताया फेक न्यूज

नई दिल्ली: सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि सरकार 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई भुगतान पर 18% जीएसटी लगाने की योजना बना रही है। इस पर सरकार ने साफ-साफ जवाब देते हुए कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है और यह पूरी तरह से झूठी और भ्रामक खबर है।
CBIC ने क्या कहा?
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने शुक्रवार को ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा,
“2,000 रुपये से ऊपर के UPI लेनदेन पर GST लगाने की खबरें पूरी तरह गलत और आधारहीन हैं। सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लाया है।”
CBIC ने यह भी बताया कि जनवरी 2020 से UPI और रूपे डेबिट कार्ड के ज़रिए किए गए पी2एम (व्यक्ति से व्यापारी) लेनदेन पर MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट हटा दिया गया है। और चूंकि MDR नहीं है, इसलिए ऐसे ट्रांजैक्शन पर GST लागू ही नहीं होता।
अफवाह कैसे फैली?
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 2,000 रुपये से ऊपर के डिजिटल भुगतान पर 18% GST लग सकता है, जो कि डिजिटल सेवाओं पर लागू सामान्य दर है। लेकिन सरकार ने इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी है।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजना
बीते महीने प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहन देने की एक योजना को मंजूरी दी। इस योजना के तहत:
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₹2,000 तक के सभी P2M लेनदेन पर कोई शुल्क (MDR) नहीं लिया जाएगा।
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0.15% की दर से व्यापारियों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
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यह योजना 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी।
जीएसटी कलेक्शन में भी रिकॉर्ड बढ़त
मार्च 2025 में भारत का कुल जीएसटी संग्रह 9.9% बढ़कर ₹1.96 लाख करोड़ के पार पहुंच गया, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसमें घरेलू लेनदेन से ₹1.49 लाख करोड़ और आयातित वस्तुओं से ₹46,919 करोड़ का राजस्व आया।
सरकार ने साफ किया है कि 2,000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर कोई GST नहीं लगाया जाएगा। आम लोगों और व्यापारियों को घबराने की जरूरत नहीं है। यह अफवाह महज भ्रम फैलाने का प्रयास है।
