लोकसभा में वक़्फ़ विधेयक पर 12 घंटे की लंबी बहस।

नई दिल्ली : लोकसभा में लगभग 12 घंटे तक चली गहरी बहस के बाद आज राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर चर्चा हुई। बुधवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लोकसभा में पेश किया, जिस पर आधी रात तक बहस चली। अंत में, लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया, जिसमें 288 सांसदों ने समर्थन दिया और 232 ने विरोध किया। बुधवार को लोकसभा सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने सरकार पर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने और समाज में विभाजन करने का आरोप लगाया।
वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह कहते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य किसी धार्मिक परंपरा या मस्जिद के प्रबंधन में दखल देना नहीं है। विपक्ष ने इस समस्या पर नाराजगी जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद, सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई जो राज्यसभा में “आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025” पारित होते ही हुई।
इस विधेयक के कुछ विवादित प्रावधान इस प्रकार हैं :
-गैर-मुस्लिम को वक्फ बोर्ड का प्रमुख अधिकारी बनने की अनुमति
-राज्य सरकारों को वक्फ बोर्ड में दो से कम नहीं गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान
-जिला कलेक्टर को कोई संपत्ति वक्फ की है या सरकारी यह निर्णय लेने का अधिकार
-उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” की धारणा को समाप्त करना
-प्रत्येक वक्फ संपत्ति को 6 महीने में एक केंद्रीय डेटाबेस में पंजीकरण कराना आवश्यक
-वक्फ संपत्ति विवादों पर न्यायाधिकरण के निर्णय का अधिकार समाप्त करना
इन प्रावधानों की वजह से कई लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे सरकार का वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण और मजबूत हो जाएगा और अल्पसंख्यक समूहों के अधिकार और समित्त हो सकते हैं।
