BJP ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित किया
नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आते ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने आंतरिक अनुशासन और पार्टी हितों को मजबूत करने के लिए तेज़ कदम उठाए हैं। शनिवार , 15 नवंबर को , बीजेपी बिहार ने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही , पार्टी ने एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया है। यह कदम पार्टी की आंतरिक अनुशासन और चुनावी सफलता के प्रति जागरूकता को दर्शाता है।
आरके सिंह , जो नरेंद्र मोदी सरकार में ऊर्जा मंत्री और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव रह चुके हैं , पार्टी से निलंबित किए गए पहले नेता हैं। वह अपने मुखर बयानों के लिए जाने जाते हैं , विशेषकर पार्टी की आंतरिक गतिशीलता और भ्रष्टाचार – गुटबाजी के खिलाफ। सिंह ने चुनाव के दौरान कानून – व्यवस्था के मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाए थे और चुनाव आयोग के कार्यशैली पर भी सवाल किए थे। खासतौर पर , मोकामा में हुई हिंसा को उन्होंने प्रशासन और चुनाव आयोग की विफलता बताया था। चुनाव परिणाम आने के बाद , पार्टी ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों का दोषी मानते हुए एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
बिहार बीजेपी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी , कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी निलंबित कर दिया है। अशोक कुमार ने अपने बेटे सौरव अग्रवाल को कटिहार से वीआईपी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा , जो पार्टी के निर्देशों के खिलाफ माना जा रहा है। पार्टी ने दोनों से भी एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है , जिससे पार्टी के अंदर अनुशासन और आंतरिक समन्वय को मजबूत करने का संकेत मिलता है।
बीजेपी का यह कदम चुनाव के तुरंत बाद पार्टी के अनुशासन और संगठनात्मक मजबूती का संकेत है। पार्टी का मानना है कि चुनाव के नतीजे चाहे जो भी रहे हों , संगठनात्मक एकता और अनुशासन जरूरी है। इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी भ्रष्टाचार , गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के खिलाफ सख्त है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों के तुरंत बाद बीजेपी का यह कदम पार्टी के आंतरिक अनुशासन और नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आरके सिंह , अशोक कुमार अग्रवाल और उषा अग्रवाल जैसे नेताओं का निलंबन पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए एक सख्त संदेश है। पार्टी का यह कदम भविष्य में भी इसी तरह की कार्रवाई का संकेत देता है , जिससे संगठन में अनुशासन और एकता बनी रहे। – Report by : वंशिका माहेश्वरी



