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गोंडा में आरपीएफ हिरासत में दलित व्यक्ति की मौत, परिजनों ने तीन पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया

 गोंडा में आरपीएफ हिरासत में दलित व्यक्ति की मौत, परिजनों ने तीन पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया
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गोंडा, उत्तर प्रदेश: गोंडा जिले में एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जिसमें रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के तीन जवानों पर आरोप है कि उन्होंने हिरासत में एक 35 वर्षीय दलित व्यक्ति संजय कुमार सोनकर की जान ले ली। इस घटना ने पूरे जिले में सनसनी फैल गई है और समाज में न्याय और मानवाधिकारों के प्रति चिंता बढ़ गई है। परिवार का आरोप है कि संजय को हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उसकी मौत हो गई, जबकि पुलिस एवं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उसकी मौत मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया है कि वह अस्पताल लाए जाने के समय मृत था।

यह पूरा मामला उस समय सामने आया जब गोंडा के बरुआ चक रेलवे स्टेशन पर तेल चोरी के आरोप में संजय को हिरासत में लिया गया। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवानों ने संजय को रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक मालगाड़ी से तेल चोरी के संदेह में उठाया था। बताया जाता है कि घटना के बाद, संजय को तुरंत ही सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिवार ने आरोप लगाया कि संजय को हिरासत में प्रताड़ित किया गया था, और उसकी मौत के पीछे यातना का हाथ है।

इस पूरे मामले के प्रकाश में आने के बाद, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के वरिष्ठ कमांडेंट चंद्र मोहन मिश्रा ने कहा कि तीनों जवानों—सब-इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार, करण सिंह यादव और कांस्टेबल अमित कुमार यादव—को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि तीनों जवानों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

गोंडा सिटी कोतवाली के इंस्पेक्टर (अपराध) सभाजीत सिंह ने पुष्टि की कि इन तीनों जवानों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। परिवार के सदस्य, विशेष रूप से संजय के भाई राजू सोनकर, ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरपीएफ के जवान संजय को उनके घर से उठाकर ले गए और हिरासत में प्रताड़ित किया। उनके अनुसार, बाद में उन्हें पता चला कि संजय की मौत हो गई है और उसका शव अस्पताल में है।

प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, संजय को अस्पताल मृत अवस्था में लाया गया था। इस बीच, पुलिस ने जानकारी दी कि घटना के पीछे की मुख्य वजह तेल की चोरी का मामला था। गोंडा रेलवे आरपीएफ चौकी ने बरुआ चक रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक मालगाड़ी से तेल की चोरी के संदेह में मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान, रेलवे सुरक्षा बल को एक वीडियो मिला जिसमें तीन संदिग्धों को ट्रेन से तेल चोरी करते और पास के खेत में छिपते हुए देखा गया।

पुलिस ने इस वीडियो के आधार पर एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया, जिसने संजय का नाम बताया। इसके बाद, कर्मियों ने संजय को पकड़ लिया और उसी दिन उसके पास से तेल बरामद किया। लेकिन, इस प्रक्रिया के दौरान संजय की तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद, विभागीय अधिकारियों ने कहा कि तीनों जवानों को आरपीएफ लाइंस भेज दिया गया है और आगे की जांच के निष्कर्षों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। परिवार का आरोप है कि संजय को हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी मौत की न्यायिक जांच होनी चाहिए।

यह मामला न केवल एक व्यक्ति की मौत का है, बल्कि यह मानवाधिकारों और न्याय व्यवस्था की साख का भी सवाल है। समाज में इस तरह की घटनाओं से पुलिस और सुरक्षाबलों की छवि को नुकसान पहुंचता है, और आम जनता में भय एवं आक्रोश बढ़ता है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि कानून के दायरे में रहकर, उचित जांच के बाद ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना गोंडा जिले में कानून व्यवस्था, मानवाधिकार और पुलिस जवाबदेही के मुद्दों को फिर से उजागर करती है, और समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या पुलिसिया कार्रवाई मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए भी अपराधियों को न्याय दिलाने का माध्यम बन सकती है। संजय कुमार सोनकर की मौत के मामले में न्याय की उम्मीद जगी है, और परिवार तथा समाज के लोग न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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