अयोध्या में 80 हजार दीपों से गूंज उठा ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष
अयोध्या: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुसार इस बार का नवम दीपोत्सव-2025 अयोध्या को नई सांस्कृतिक ऊँचाइयों पर ले जाने वाला है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहाँ की परंपराओं, लोककला और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम भी देखने को मिलेगा। इस वर्ष की दीपोत्सव का आयोजन बड़े ही भव्य और दिव्य रूप में होने जा रहा है, जिसमें रामनगरी की छवि को पूरी तरह से बदल कर एक नई पहचान दी जाएगी। खास बात यह है कि इस बार राम की पैड़ी का दृश्य सबसे अलग और आकर्षक होगा, जहां 80 हजार दीपों से सजाई जा रही रंगोली भक्तों और पर्यटकों का मन मोह लेगी।
80 हजार दीपों से बनी जीवंत रंगोली: लोककला की नई परिभाषा
अयोध्या के इतिहास में पहली बार इतनी विशाल और आकर्षक दीप-रंगोली बनाई जा रही है। यह पारंपरिक चौक पूरने की कला पर आधारित है, जिसमें मिट्टी के दीयों, प्राकृतिक रंगों और फूलों का प्रयोग किया जा रहा है। इस अनोखी रचनात्मकता का उद्देश्य न केवल सौंदर्य को बढ़ाना है, बल्कि यह अयोध्या के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप को भी दर्शाता है। जब यह रंगोली पूरी तरह से सजी-धजी होगी, तो ऐसा लगेगा मानो धरती पर भगवान का स्वागत हो रहा हो।
पारंपरिक प्रतीकों का समावेश और धार्मिक महत्व
रंगोली की डिज़ाइन में पारंपरिक प्रतीकों जैसे कलश, स्वास्तिक और कमल फूल को प्रमुखता दी गई है। कलश समृद्धि और शुभता का प्रतीक है, स्वास्तिक शुभता और सकारात्मकता का संकेत देता है, और कमल फूल भक्ति, पवित्रता और श्रीराम के दिव्य जीवन का प्रतीक माना जाता है। इन प्रतीकों को रंगों और दीपों के माध्यम से इस तरह से सजाया गया है कि हर रेखा और हर दीया अपने आप में एक कथा कहता है—श्रद्धा, सौंदर्य और संस्कृति की।
चौक पूरने की परंपरा और भक्ति का गहरा संबंध
लोक संस्कृति में “चौक पूरना” वह शुभ क्षण होता है, जब किसी देवता का स्वागत किया जाता है। यह कला केवल सजावट का माध्यम ही नहीं है, बल्कि ईश्वर और मानव के बीच संवाद का भी प्रतीक है। राम की पैड़ी पर इस परंपरा का अनूठा रूप देखने को मिलेगा, जहां रंगों और दीपों से सजी यह चौक पूरी भक्ति ऊर्जा से भरी रहेगी। यह आयोजन भक्तों में श्रद्धा का संचार करने के साथ ही, दर्शकों को एक दिव्य अनुभूति कराएगा।
अवध विश्वविद्यालय की छात्राओं का योगदान
इस अद्भुत रंगोली को तैयार करने में अवध विश्वविद्यालय की कला विभाग की 50 छात्राओं की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन छात्राओं ने मिलकर इस रचना का डिज़ाइन तैयार किया है। हर छात्रा ने अपने हिस्से की दीया सज्जा, रंग भराई और पैटर्न बनाने में पूरा समर्पण दिखाया है। डॉ. सरिता द्विवेदी, जो इस टीम की प्रमुख संयोजक हैं, ने बताया कि यह कार्य केवल कला नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। हर रंग, हर दीया, हर आकृति में श्रद्धा और भावना समाई हुई है। जब लाखों दीप एक साथ प्रज्वलित होंगे, तो यह दृश्य न केवल प्रकाश का, बल्कि अयोध्या की आत्मा का उत्सव भी होगा।
प्राकृतिक सामग्री का उपयोग और स्थानीय कारीगरों की भागीदारी
रंगोली बनाने में पारंपरिक गेरू, चावल के आटे, प्राकृतिक रंग और मिट्टी का प्रयोग किया गया है। इससे इसकी मौलिकता और पारंपरिक सौंदर्य कायम रहेगा। मिट्टी के दीपों और सजावट में स्थानीय कारीगरों की भी सहायता ली गई है। यह प्रयास न केवल परंपराओं को जीवित रखने का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है। सूर्यास्त के बाद जब दीप जलेंगे, तो पूरी रंगोली एक दिव्य और आकर्षक छवि में परिवर्तित हो जाएगी, मानो धरती पर देवताओं ने स्वयं दीप जला दिए हों।
योगी सरकार की प्रेरणा से कला और संस्कृति का संगम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से यह दीपोत्सव अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व ही नहीं रहा है, बल्कि यह कला, संस्कृति और नवाचार का भी पर्व बन चुका है। अयोध्या का यह दीपोत्सव भारतीय लोककला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का माध्यम बन रहा है। योगी सरकार का दृढ़ मानना है कि दीपोत्सव केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि अयोध्या की आत्मा को जगाने और उसकी सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर है।
जय श्रीराम” का उद्घोष और भक्ति का संगम
जब यह 80 हजार दीपों से सजी रंगोली दीपोत्सव की रात को जगमगाएगी, तो ऐसा लगेगा मानो धरती पर सितारे उतर आए हों। हर कोने में “जय श्रीराम” की आवाज गूंजेगी, और यह दृश्य भक्ति और भारतीयता का जीवंत प्रतीक बन जाएगा। यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक श्रद्धा का उत्सव है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अयोध्या किस तरह अपनी सांस्कृतिक परंपराओं और आध्यात्मिक ऊर्जा का समागम है।इस वर्ष का नवम दीपोत्सव अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत, कला और आध्यात्मिकता का भव्य मिलन है। यह आयोजन देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु और पर्यटकों को अयोध्या की अनूठी परंपराओं से परिचित कराएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा और युवाओं की प्रतिभा से सजी यह रंगोली न केवल एक कला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और भक्ति का जीवंत प्रतीक भी है। इस दीपोत्सव का हर दीप, हर रंग और हर आकृति अयोध्या की आत्मा को नई ऊर्जा और जीवन देगी।



