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उत्तर बंगाल में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही, ममता बनर्जी ने भूटान से मुआवजे की मांग की

 उत्तर बंगाल में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही, ममता बनर्जी ने भूटान से मुआवजे की मांग की

Chief Minister of West Bengal Mamata Banerjee meet the press at Nabanna after the supreme court judgment Singur Issue at the Secretariat Office Nabanna in Howrah, West Bengal on 31 August 2016. (Photo by Debajyoti Chakraborty/NurPhoto via Getty Images)

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उत्तर बंगाल में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग और अलीपुरद्वार जैसे पहाड़ी और तराई क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं। अब तक इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 32 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि यह संकट मुख्य रूप से भूटान से बहकर आए पानी की वजह से पैदा हुआ है, जिसने राज्य के कई इलाकों में तबाही मचा दी।

ममता बनर्जी ने सोमवार को जलपाईगुड़ी जिले के नागरकाटा इलाके में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की और राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा, “भूटान से बहकर आया पानी हमारे राज्य में तबाही मचा गया है। इससे हमें भारी नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए हम भूटान से मुआवजा चाहते हैं।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह लंबे समय से भारत और भूटान के बीच “इंडो-भूटान जॉइंट रिवर कमीशन” बनाने की मांग कर रही हैं। उनके अनुसार, यह आयोग दोनों देशों के बीच साझा नदियों से जुड़ी समस्याओं—जैसे जलप्रवाह नियंत्रण, बाढ़ प्रबंधन और जल संसाधन साझा करने—को लेकर समन्वय स्थापित करने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर 16 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग लेंगे।

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब तक राज्य को आपदा राहत के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं मिली है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार अपनी पूरी क्षमता के साथ राहत और पुनर्वास कार्य कर रही है, लेकिन केंद्र को भी इस कठिन समय में आगे आना चाहिए। लोगों की जान और संपत्ति बचाने के लिए केंद्र से तत्काल मदद की आवश्यकता है।”

उत्तर बंगाल के कई हिस्सों में लगातार बारिश से भूस्खलन भी हुआ है, जिससे सड़कों और पुलों को भारी नुकसान पहुंचा है। दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में कई गांव अब भी सड़क संपर्क से कटे हुए हैं। प्रशासन की ओर से सेना और आपदा प्रबंधन बल की टीमों को राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी शिविरों की व्यवस्था की है, जहां भोजन, चिकित्सा सहायता और कपड़ों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शुक्रवार तक उत्तर बंगाल में रहकर राहत कार्यों की निगरानी करती रहेंगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी क्षेत्र में राहत सामग्री की कमी न हो और प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द पुनर्वास सहायता दी जाए।

उत्तर बंगाल की नदियाँ—खासकर तोर्सा, जलधाका, और तीस्ता—भूटान से निकलती हैं और बंगाल के तराई इलाकों से होकर बहती हैं। हर साल मानसून के दौरान इन नदियों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति बनती है, लेकिन इस बार स्थिति अधिक गंभीर बताई जा रही है। राज्य सरकार का कहना है कि अगर इंडो-भूटान जॉइंट रिवर कमीशन जल्द गठित हो जाए, तो भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता है।

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